मणिपुर में एक सरकारी बस से राज्य का नाम ढकने की घटना के बाद राजनीतिक दलों, पत्रकार संगठनों और आम लोगों में गहरी नाराजगी है. यह बस राज्य सरकार के जनसंपर्क निदेशालय (DIPR) द्वारा पत्रकारों को शिरुई लिली पर्यटन महोत्सव की कवरेज के लिए इंफाल से उखरुल भेजी गई थी.
रास्ते में इंफाल से करीब 25 किलोमीटर दूर ग्वालताबी चेकपोस्ट पर सुरक्षा बलों ने बस को रोका और ‘मणिपुर स्टेट ट्रांसपोर्ट’ लिखा हुआ नाम सफेद कागज से ढकने को कहा. इस घटना के विरोध में पत्रकार वापस लौट आए और इंफाल प्रेस क्लब से राज्यपाल भवन तक मार्च निकाल कर एक ज्ञापन सौंपा.
एडिटर्स गिल्ड मणिपुर ने निंदा की
पत्रकार संगठनों ऑल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन और एडिटर्स गिल्ड मणिपुर ने इस घटना को "पत्रकारों के साथ अपमान और उत्पीड़न" बताया और 21 मई को पेन डाउन हड़ताल का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि जब तक इस मुद्दे का समाधान नहीं होता, हड़ताल आगे भी जारी रह सकती है. उन्होंने यह भी कहा कि अब मणिपुर सरकार और राज्य/केंद्र सरकार की सुरक्षाबलों से जुड़ी कोई खबर कवरेज नहीं की जाएगी.
राजनीतिक दलों ने भी नाराजगी जताई
राजनीतिक दलों ने भी इस पर नाराजगी जताई. बीजेपी मणिपुर के महासचिव पी प्रेमानंद ने कहा कि "हम इस घटना की कड़ी निंदा करते हैं. मणिपुर नाम बस पर दशकों से लिखा जाता रहा है, यह कोई नई बात नहीं." कांग्रेस नेता निंगोम्बम बुपेन्दा मेइतेई ने कहा कि जब एक सरकारी बस अपने ही राज्य में स्वतंत्र रूप से नहीं चल सकती, तो आम नागरिक कैसे सुरक्षित महसूस कर सकता है?
राज्य की सबसे बड़ी महिलाओं की बाजार ‘ख्वैरामबम बाजार’ की 200 से ज्यादा महिलाओं ने भी इस घटना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और दोषी सुरक्षा कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
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