इंडो-म्यांमार सीमा से जुड़ी मणिपुर की मोरेह नगरी में रविवार को एक अनोखा दृश्य देखने को मिला, जब म्यांमार के फायरफाइटर्स ने भारतीय दमकलकर्मियों की मदद के लिए अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर आग बुझाने में हिस्सा लिया. यह दुर्लभ मानवीय सहयोग का उदाहरण तब देखने को मिला जब मोरेह के मुस्लिम बस्ती क्षेत्र (वार्ड नंबर 5) में दोपहर करीब 11 बजे अचानक भीषण आग भड़क उठी.
अधिकारियों के अनुसार, आग शॉर्ट सर्किट से लगने की आशंका जताई जा रही है. देखते ही देखते लपटों ने आसपास के कई मकानों को अपनी चपेट में ले लिया. आग इतनी तेजी से फैली कि स्थानीय लोग, पुलिस बल, कमांडो और असम राइफल्स के जवान तुरंत मौके पर पहुंचे. लेकिन स्थिति गंभीर होती देख पड़ोसी देश म्यांमार की ओर से फायर सर्विस की एक टीम ने भी बॉर्डर पिलर नंबर 79 के पास से सीमा पार कर भारतीय टीम की मदद की.
मोरेह में मौजूद एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “आग बहुत तेजी से फैल रही थी और हमारी टीम इसे नियंत्रित करने में कठिनाई महसूस कर रही थी. म्यांमार से मदद पहुंचने के बाद ही स्थिति पर काबू पाया जा सका. उनके सहयोग के बिना नुकसान कहीं ज्यादा बड़ा हो सकता था.”
फायर ब्रिगेड और सुरक्षा बलों की संयुक्त कार्रवाई से आग पर काबू पाया गया. हालांकि, इस हादसे में कम से कम 10 मकान पूरी तरह जलकर खाक हो गए, लेकिन किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है. सभी प्रभावित परिवारों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया.
अधिकारियों ने बताया कि आग के सटीक कारण और संपत्ति के नुकसान का आकलन करने के लिए जांच शुरू कर दी गई है.
मोरेह शहर इंडो-म्यांमार फ्रेंडशिप गेट के पास स्थित है और यह दोनों देशों के बीच व्यापारिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र रहा है. हालांकि, मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी और दोनों ओर की अस्थिरता के चलते सीमा बंद होने के बाद से व्यापारिक गतिविधियां ठप हैं.
यह सीमा क्षेत्र कई जातीय समूहों कुकी, नागा, मुस्लिम, तमिल और अन्य भारतीय समुदायों – का घर है. लेकिन हालिया मणिपुर जातीय हिंसा के बाद अधिकांश मीतई निवासी मोरेह से विस्थापित हो चुके हैं. अधिकारियों और स्थानीय लोगों ने म्यांमार की फायर टीम की तत्परता की सराहना की है, इसे तनावपूर्ण सीमा परिस्थितियों के बीच मानवीय एकजुटता का दुर्लभ उदाहरण बताया गया है.
बेबी शिरीन