दिल्ली में अमित शाह के घर के बाहर मणिपुर के कुकी समाज का प्रदर्शन, शांति बहाली की मांग 

मणिपुर में शांति बहाली की मांग को लेकर कुकी समुदाय के लोग केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के घर के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि अमित शाह ने कहा था कि जल्द ही शांति होगी, लेकिन आज भी स्टेट फोर्स कुकी समाज के खिलाफ हिंसा कर रही है.

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अमित शाह के घर के बाहर मणिपुर के लोगों का प्रदर्शन अमित शाह के घर के बाहर मणिपुर के लोगों का प्रदर्शन

आशुतोष मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 07 जून 2023,
  • अपडेटेड 9:50 AM IST

गृहमंत्री अमित शाह ने मणिपुर में तीन मई को हुई हिंसा के बाद प्रदेश का दौरा किया था. उन्होंने अलग-अलग समुदायों के साथ बैठक कर राज्य में शांति बहाली की अपील की थी. हिंसा की जांच के लिए गुवाहाटी हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अजय लांबा की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग का गठन किया था. इधर मणिपुर के कुकी समाज के लोग दिल्ली में अमित शाह के घर के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं. 

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गृह मंत्री के घर के बाहर प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि अमित शाह ने कहा था कि राज्य में शांति लौटेगी, इसलिए हम उनसे मिलने आए हैं. कुकी समाज के खिलाफ आज भी स्टेट फोर्स हिंसा कर रही है. इसीलिए शांति की मांग करते हुए हम गृह मंत्री से शांतिपूर्ण तरीके से मिलने आए हैं.  

इन प्रदर्शनकारियों में मणिपुर के कुकी, जोमी, हमार और मिजो समुदाय के लोग शामिल हैं. इनका कहना है कि राज्य में हमारे परिवार के सदस्यों की रोजाना हो रही हत्याओं के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. हम अपनी बहनों और दोस्तों से अपील करते हैं कि वे आएं और हमारे समुदाय पर किए गए अत्याचारों का विरोध दर्ज कराएं.  

क्यों हुई थी मणिपुर में हिंसा?  

मणिपुर में मैतेई समुदाय को एसटी कैटेगरी में शामिल करने की मांग तेज हो गई है. हाई कोर्ट ने भी राज्य सरकार को इस मांग पर विचार करने का आदेश दिया है. राज्य के छात्र संगठन ने तीन मई को इसी मांग के खिलाफ मार्च निकाला था. ये मार्च चुरचांदपुर जिले के तोरबंग इलाके में हुआ था. इस रैली में हजारों प्रदर्शनकारी शामिल हुए थे. इसी दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसा शुरू हो गई. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे. हालात इतने बिगड़ गए कि राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी. बाद में सेना और पैरामिलिट्री फोर्स को तैनात किया गया. 

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मैतेई समुदाय की क्या है मांग?

दरअसल मणिपुर में एक कानून है, जिसके तहत आदिवासियों के लिए कुछ खास प्रावधान किए गए हैं. इसके तहत, पहाड़ी इलाकों में सिर्फ आदिवासी ही बस सकते हैं. चूंकि, मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं मिला है, इसलिए वो पहाड़ी इलाकों में नहीं बस सकते. जबकि, नागा और कुकी जैसे आदिवासी समुदाय चाहें तो घाटी वाले इलाकों में जाकर रह सकते हैं. मैतेई और नागा-कुकी के बीच विवाद की यही असल वजह है. इसलिए मैतेई ने भी खुद को अनुसूचित जाति का दर्जा दिए जाने की मांग की थी.
 

 

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