पटियाला हाउस कोर्ट ने बुधवार को गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के भाई अनमोल बिश्नोई को 11 दिन की NIA कस्टडी में भेज दिया. कोर्ट ने कहा कि आरोपी के खिलाफ लगे आरोप बेहद गंभीर हैं और जांच का दायरा काफी व्यापक है. NIA ने अदालत में कई बड़े दावे किए, जिसमें अनमोल की भूमिका एक क्रिमिनल-टेरर सिंडिकेट के सक्रिय सदस्य के रूप में सामने रखी गई.
NIA ने अदालत में कहा कि अनमोल बिश्नोई आतंकियों और गैंगस्टरों के गठजोड़ वाले ‘क्रिमिनल-टेरर सिंडिकेट’ का हिस्सा है. एजेंसी के अनुसार, यह नेटवर्क देश और विदेश में बैठकर टारगेट किलिंग, युवाओं की भर्ती, पैसों की व्यवस्था और सोशल मीडिया के जरिए दहशत फैलाने जैसे काम करता रहा. NIA ने दावा किया कि यह पूरा नेटवर्क बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) जैसे आतंकी संगठनों से जुड़ा हुआ है.
कोर्ट ने घोषित किया था भगोड़ा
NIA के मुताबिक, अनमोल 2022 से फरार था और जनवरी 2025 में कोर्ट ने उसे प्रोक्लेम्ड ऑफेंडर घोषित कर दिया था. बुधवार को उसका अमेरिका से प्रत्यर्पण हुआ और जैसे ही वह IGI एयरपोर्ट पर उतरा, एजेंसी ने उसे दोपहर 2.30 बजे गिरफ्तार कर लिया. कोर्ट में गिरफ्तारी की पूरी प्रक्रिया आदि पर विस्तार से बताया गया.
एजेंसी ने कोर्ट को बताया कि अनमोल देश के अलग-अलग राज्यों में दर्ज 11 गंभीर आपराधिक मामलों में नामजद है. इसमें NCP नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या, अभिनेता सलमान खान के घर पर हुई फायरिंग और पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या जैसे हाई-प्रोफाइल केस शामिल हैं. NIA के अनुसार, अनमोल विदेश से बैठकर एक्सटॉर्शन, हथियारों की सप्लाई और टारगेट किलिंग की साजिश में सक्रिय भूमिका निभाता रहा.
फाइनेंस और सोशल मीडिया नेटवर्क की तलाश
NIA ने तर्क दिया कि अनमोल गैंग के फाइनेंशियल नेटवर्क को संभालता था और कई बार खुद सोशल मीडिया पर आतंकी वारदातों की जिम्मेदारी लेने की भूमिका में भी दिखा. एजेंसी ने कहा कि उसके फंड सोर्स, लॉजिस्टिक चैन और सोशल मीडिया अकाउंट्स को खंगालने के लिए कस्टोडियल पूछताछ बेहद जरूरी है. इन्हीं आधारों पर एजेंसी ने 15 दिनों की पुलिस हिरासत की मांग की थी.
बचाव पक्ष की दलीलें
अनमोल के वकीलों ने अदालत में कहा कि NIA के पास पहले से सभी रिकॉर्ड मौजूद हैं और पुलिस रिमांड की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि आरोपी जांच में पूरा सहयोग देगा और उसके फरार होने की कोई आशंका नहीं है. वकीलों ने अदालत से मांग की कि रिमांड न दी जाए, लेकिन अगर रिमांड दी जाए तो D.K. Basu दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जाए.
अदालत ने माना आरोप बेहद गंभीर
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रशांत शर्मा ने कहा कि NIA की रिमांड मांग उचित और न्यायोचित है. अदालत ने माना कि आरोप गंभीर हैं, केस का दायरा बड़ा है और कई पहलू अभी सामने आने बाकी हैं. अदालत ने सभी कानूनी प्रक्रियाओं-गिरफ्तारी मेमो, मेडिकल जांच और आरोपी की भाषा संबंधी समझ की भी पुष्टि की.
सुरक्षा व मेडिकल जांच पर कड़ा निर्देश
कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि हिरासत के दौरान आरोपी की सुरक्षा और मेडिकल जांच में कोई ढिलाई नहीं होनी चाहिए. अदालत ने आदेश दिया कि हर 48 घंटे में सरकारी अस्पताल में उसका मेडिकल परीक्षण हो और कोर्ट से लेकर हिरासत स्थान तक उसकी पूरी यात्रा की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाए.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक विशेष लोक अभियोजक राहुल त्यागी ने बताया कि NIA अनमोल के विदेश भागने की पूरी कहानी का पता लगाने की कोशिश कर रही है. 11 दिन की रिमांड पूरी होने के बाद आरोपी को 29 नवंबर को फिर कोर्ट में पेश किया जाएगा. अदालत परिसर में भारी सुरक्षा तैनाती रही और मीडिया को अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई.
(पीटीआई के इनपुट के साथ)
अरविंद ओझा