CBI ने दिल्ली की एक अदालत में दावा किया है कि जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे (2004–2009), उस दौरान रेल मंत्रालय पर असामान्य दबाव बनाया गया, ताकि कुछ खास ग्रुप-डी उम्मीदवारों की नौकरी के आवेदन तुरंत मंजूर किए जा सकें. ये वे उम्मीदवार थे, जिन्होंने या तो खुद या अपने रिश्तेदारों के जरिए, लालू यादव के परिवार या करीबियों के नाम जमीन ट्रांसफर की थी या गिफ्ट की थी.
विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने इस मामले में आरोप तय करने की सुनवाई कर रहे हैं. यह घोटाला जबलपुर, मध्य प्रदेश के वेस्ट सेंट्रल रेलवे ज़ोन में हुई भर्तियों से जुड़ा है.
सोमवार को हुई सुनवाई में CBI के विशेष लोक अभियोजक डी पी सिंह ने अदालत को बताया कि जिन लोगों को नौकरियां दी गईं वे ज़्यादातर बिहार से गरीब परिवारों से थे. उन्होंने कहा, 'एक ही दिन में कई आवेदन बहुत तेज़ी से पास कर दिए गए, जबकि सामान्यत: यह प्रक्रिया काफी लंबी होती है.'
मंत्रालय से बहुत ज्यादा दबाव था
CBI ने बताया कि मंत्रालय से इतना दबाव था कि अधिकांश दस्तावेजों की जांच भी नहीं की गई. अधिकतर प्रमाण पत्र जाली थे और किसी भी पद के लिए वैकल्पिक उम्मीदवार रखने की जरूरत या औचित्य नहीं बताया गया.
CBI की चार्जशीट के अनुसार, इन उम्मीदवारों या उनके रिश्तेदारों ने लालू यादव को बाजार दर से काफी कम कीमत पर जमीन बेची. लालू परिवार ने करीब 1 लाख वर्ग फीट जमीन मात्र 26 लाख रुपये में खरीदी, जबकि उसकी सर्किल रेट के अनुसार कीमत 4.39 करोड़ रुपये से ज्यादा थी.
CBI ने यह मामला 18 मई 2022 को लालू यादव, उनकी पत्नी, दो बेटियों समेत 15 लोगों के खिलाफ दर्ज किया था. अब इस मामले में अगली सुनवाई बुधवार को होगी.
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