जानिए क्या है अनुभव मंतापा? जिसे पीएम मोदी ने बताया लोकतंत्र का आधार

ऐसी मान्यता है कि मानव के इतिहास में अनुभव मंतापा पहली लोकतांत्रिक व्यवस्था थी. इसकी स्थापना भगवान बसवेश्वर ने की थी. वे यहां पर प्रधानमंत्री की तरह काम करते थे.

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पीएम मोदी ने नए संसद भवन की रखी आधारशिला (फाइल फोटो) पीएम मोदी ने नए संसद भवन की रखी आधारशिला (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 10 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 4:31 PM IST
  • पीएम मोदी ने नए संसद भवन की नींव रखी
  • पीएम मोदी बोले- हमारा लोकतंत्र दुनिया के लिए उदाहरण
  • संसद भवन ने आजादी के बाद भारत को दिशा दी: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को भूमि पूजन के साथ ही चार मंजिला नये संसद भवन की आधारशिला रखी. इसका निर्माण कार्य भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ तक पूरा कर लिए जाने की संभावना है. वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भूमि पूजन कार्यक्रम आरंभ हुआ और इसके संपन्न होने के बाद शुभ मुहुर्त में प्रधानमंत्री ने परम्परागत विधि विधान के साथ आधारशिला रखी.

इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है. देश में अब भारतीयता के विचारों के साथ नई संसद बनने जा रही है, हमारे सभी देशवासी मिलकर संसद के नए भवन का निर्माण करने जा रहे हैं. पीएम मोदी ने कहा कि अगर हम अपने लोकतंत्र का गुणगान करेंगे तो वो दिन दूर नहीं जब दुनिया कहेगी ‘इंडिया इज़ मदर ऑफ डेमोक्रेसी’.

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पीएम मोदी ने कहा कि 13वीं शताब्दी में मैग्नाकार्टा से पहले ही 12वीं शताब्दी में भगवान बसवेश्वर ने लोकसंसद की शुरुआत कर दी थी. जिसे अनुभव मंतापा के नाम से जाना जाता है. पीएम ने बताया कि दसवीं शताब्दी में तमिलनाडु के एक गांव में पंचायत व्यवस्था का वर्णन है. उस गांव में आज भी वैसे ही महासभा लगती है, जो एक हजार साल से जारी है. पीएम ने बताया कि तब भी नियम था कि अगर कोई प्रतिनिधि अपनी संपत्ति का ब्यौरा नहीं देगा तो वो और उसके रिश्तेदार चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. 

क्या है अनुभव मंतापा?

ऐसी मान्यता है कि मानव के इतिहास में अनुभव मंतापा पहली लोकतांत्रिक व्यवस्था थी. इसकी स्थापना भगवान बसवेश्वर ने की थी. वे यहां पर प्रधानमंत्री की तरह काम करते थे, जबकि प्रभुदेवा नाम के एक महान योगी प्रेसिडेंट के तौर पर काम करते थे. कहा जाता है कि अनुभव मंतापा के अंदर एक स्पीकर भी हुआ करते थे. 

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हालांकि लोकसभा और अनुभव मंतापा में एक फर्क था. लोकसभा के अंदर प्रतिनिधि का चुनाव आम लोगों द्वारा होता है, जबकि उस काल में वहां पर मंतापा के शीर्ष अधिकारियों द्वारा सदस्यों का चुनाव होता था. हालांकि सभी सदस्यों के लिए अध्यात्म से जुड़ा होना जरूरी था. ये सभी सदस्य सामाजिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, मनोवैज्ञानिक, आर्थिक और साहित्यिक विषयों पर चर्चा करते थे. 

मंतापा के सदस्यों और इस धर्म के सभी मानने वालों को सोचने, बोलने और एक्शन की इजाजत दी गई थी. उन्हें इजाजत थी कि वो मंडली के सामने कोई भी सवाल या शंका जाहिर कर सकते थे. इतना ही नहीं मंडली के सामने किसी मुद्दे को लेकर जो भी चर्चा या बहस होती थी, उसे रिकॉर्ड भी किया जाता था. 

अनुभव मंतापा के मौलिक सिद्धांत

अनुभव मंतापा के मुताबिक सभी एक समान हैं. कोई भी जन्म से, लिंग से या व्यवसाय से बड़ा या छोटा नहीं है. अपने विकास के लिए महिला और पुरुष दोनों को बराबर अधिकार मिले हुए थे. हर किसी को अपने पसंद का काम करने की इजाजत थी. सभी व्यवसाय को सम्मान की निगाह से देखा जा सकता था. समाज में अस्पृश्यता या किसी अन्य तरह के भेदभाव के लिए कोई स्थान नहीं था. 

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