Karnataka Hijab Row: अब मैंगलोर यूनिवर्सिटी में बवाल, हिजाब उतारकर क्लास में आने का आदेश

Karnataka Hijab Row: नए आदेश के मुताबिक छात्राओं को क्लास अटेंड करने के लिए उन्हें हिजाब उतारना होगा. आदेश में यह भी कहा गया है कि छात्राएं चाहें तो महिला रेस्टरूम में हिजाब उतार सकती हैं.

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सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर

नागार्जुन

  • मैंगलोर,
  • 26 मई 2022,
  • अपडेटेड 11:17 PM IST
  • नोटिस में कहा गया- यूनिफॉर्म के अलावा कुछ भी स्वीकार नहीं
  • कर्नाटक हाई कोर्ट क्लास में हिजाब पहनने पर लगा चुका है रोक

Karnataka Hijab Row: कर्नाटक में हिजाब विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. मैंगलोर यूनिवर्सिटी में आज हिजाब को लेकर दिनभर तनाव की स्थिति बनी रही. कई छात्रों ने यह कहते हुए गुरुवार को प्रदर्शन किया कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी 44 मुस्लिम छात्राएं यूनिवर्सिटी में हिजाब पहनकर क्लास अटेंड कर रही हैं.

बवाल बढ़ने के बाद यूनिवर्सिटी ने नया आदेश जारी कर दिया है. नए आदेश के मुताबिक छात्राओं को क्लास अटेंड करने के लिए उन्हें हिजाब उतारना होगा. आदेश में यह भी कहा गया है कि छात्राएं चाहें तो महिला रेस्टरूम में हिजाब उतार सकती हैं. विश्वविद्यालय ने नोटिस में कहा है कि क्लासरूम में यूनिफॉर्म के अलावा कुछ भी नहीं पहना जा सकता. अगर कोई इस नियम का उल्लंघन करेगा तो उस पर कार्रवाई होगी.

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कर्नाटक हाई कोर्ट ने 15 मार्च 2022 को हिजाब विवाद पर अहम फैसला सुनाया था. हाईकोर्ट ने स्कूल कॉलेजों में हिजाब बैन के फैसले को चुनौती देने वालीं याचिकाओं को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य प्रथा का हिस्सा नहीं है.

दरअसल, कर्नाटक की राज्य सरकार ने स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने पर रोक लगा दी थी. इसके बाद मुस्लिम छात्राओं ने सरकार के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया था. कर्नाटक हाई कोर्ट में उडुपी की लड़कियों ने याचिका दायर कर स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने की इजाजत की मांग की थी. छात्राओं ने याचिका में कहा था कि उन्हें क्लास के अंदर भी हिजाब पहनने की अनुमति दी जानी चाहिए, क्योंकि यह उनकी आस्था का हिस्सा है.

हाई कोर्ट ने छात्राओं की याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि छात्र स्कूल ड्रेस पहनने से इनकार नहीं कर सकते. सुनवाई के लिए 9 फरवरी को चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की बेंच का गठन किया गया था. 

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इन चार सवालों के आधार पर आया था फैसला

सवाल-1 क्या हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य प्रथा का हिस्सा है?

फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य प्रथा का हिस्सा नहीं है.

सवाल-2 क्या यूनिफॉर्म पहनने से इनकार करना प्रिस्क्रिप्शन अधिकारों का उल्लंघन है?

कोर्ट ने कहा- स्कूल यूनिफॉर्म का प्रिस्क्रिप्शन एक उचित प्रतिबंध है, जिस पर छात्र आपत्ति नहीं कर सकता है

सवाल-3 क्या 5 फरवरी का राज्य सरकार का फैसला अक्षम और स्पष्ट रूप से मनमाना है और अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करता है?

कोर्ट ने माना कि सरकार के पास 5 फरवरी का शासनादेश जारी करने का अधिकार है. इसे अमान्य करने का कोई मामला नहीं बनता. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ऐसा कुछ तथ्य नहीं पेश कर पाए कि सरकार ने फैसला मनमाने ढंग से लागू किया.

सवाल-4 क्या कॉलेज प्रशासन के खिलाफ अनुशासनात्मक जांच का आदेश देने का कोई मामला बनता है?

कोर्ट ने कहा कि नहीं ऐसा कोई मामला नहीं बनता.

(इनपुट: कार्थिक)

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