कर्नाटक के मंत्री केएन राजन्ना ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. कांग्रेस हाईकमान ने उनके विवादित बयान के बाद उन्हें मंत्रिमंडल से हटाने का फैसला लिया था. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर राज्यपाल को भेज दिया, जिसे मंजूरी मिल गई है.
क्या है पूरा मामला?
राजन्ना ने हाल ही में कांग्रेस सरकार के दौरान वोटर लिस्ट में गड़बड़ी की बात स्वीकार करते हुए कहा था कि मतदाता सूची में संशोधन 'हमारी आंखों के सामने' हुआ, लेकिन इसकी सही निगरानी नहीं की गई. उन्होंने बताया कि कई जगह एक ही व्यक्ति का नाम तीन-तीन स्थानों पर दर्ज था, जिससे वह कई बार वोट डाल सकता था. कुछ इलाकों में बेहद कम आबादी के बावजूद संदिग्ध नाम जोड़े गए थे.
हाईकमान के निर्देश के बाद छोड़ा पद
उन्होंने कहा, 'यह हमारे लिए शर्म की बात है कि हमने इस पर नजर नहीं रखी.' राजन्ना ने चुनाव आयोग पर भी आरोप लगाए कि उसने वह काम किया जो उसे नहीं करना चाहिए था, और मतदाता सूची में बदलाव कर प्रधानमंत्री की मदद की. हालांकि, उन्होंने यह भी माना कि कांग्रेस समय पर आपत्ति दर्ज कराने में नाकाम रही और अब पार्टी को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं.
शुरुआत में राजन्ना ने इस्तीफा देने से इनकार करते हुए कहा था, 'मैं मुख्यमंत्री से बात करूंगा, उसके बाद ही कुछ कहूंगा. सिर्फ आपके कहने से मैं इस्तीफा क्यों दूं?' लेकिन हाईकमान के निर्देश के बाद उन्होंने पद छोड़ दिया.
राजन्ना के समर्थन में उतरी बीजेपी
बीजेपी ने इस मामले पर कांग्रेस को घेरा. पार्टी नेता अमित मालवीय ने एक्स पर लिखा कि राहुल गांधी के 'फर्जी वोट चोरी' अभियान की पोल राजन्ना ने ही खोल दी है. उन्होंने कहा, 'सच्चाई दिखाने और राहुल गांधी के दावों की खामियां उजागर करने की हिम्मत करने पर राजन्ना को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया गया.'
सगाय राज