पांच साल के लंबे अंतराल के बाद सिक्किम के रास्ते कैलाश मानसरोवर की यात्रा फिर से शुरू होने जा रही है. इसके लिए राज्य सरकार ने तैयारियां तेज कर दी हैं. नाथू ला दर्रे के ज़रिए यह पवित्र यात्रा शुरू की जाएगी, जो सिक्किम को चीन के तिब्बत से जोड़ता है.
राज्य सरकार द्वारा गंगटोक से नाथू ला के बीच दो अनुकूलन केंद्र (acclimatisation centres) बनाए जा रहे हैं, ताकि तीर्थयात्रियों को ऊंचाई के अनुकूल ढालने में मदद मिले. इसके साथ ही यात्रा मार्ग में साफ-सुथरे शौचालय और अन्य सुविधाएं भी तैयार की जा रही हैं. ये
काबी-लुंगचोक से विधायक थिनले शेरिंग भूटिया ने बताया कि वे खुद ज़मीनी हालात का जायज़ा ले रहे हैं, ताकि मानसरोवर जाने वाले यात्रियों को और बेहतर सुविधाएं दी जा सकें. उन्होंने कहा कि नाथू ला बॉर्डर के रास्ते यात्रा का सबसे बड़ा आकर्षण सिक्किम का शांतिपूर्ण वातावरण है.
भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने पिछले महीने घोषणा की थी कि जून से अगस्त के बीच यह यात्रा दो रास्तों से शुरू होगी. पहली उत्तराखंड के लिपुलेख पास से और दूसरी सिक्किम के नाथू ला पास से. विधायक भूटिया ने बताया कि नाथू ला मार्ग पर अच्छी सड़कों की उपलब्धता के कारण यह यात्रा अधिक सुरक्षित और सुविधाजनक होगी.
कैलाश मानसरोवर यात्रा 2020 में पहले कोविड-19 महामारी के कारण और फिर भारत-चीन के बीच सीमा पर तनातनी के चलते रोक दी गई थी. हालांकि, अक्टूबर 2023 में दोनों देशों की सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख में डेमचोक और देपसांग जैसे विवादित क्षेत्रों से सैनिकों को पीछे हटाने का समझौता किया था. जनवरी 2024 में भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी की बीजिंग यात्रा के दौरान दोनों देशों ने आपसी संबंधों को सुधारने के लिए कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने का फैसला लिया था.
विदेश मंत्रालय के अनुसार इस साल कुल 15 जत्थे यात्रा करेंगे. 5 जत्थे उत्तराखंड के लिपुलेख से और 10 जत्थे सिक्किम के नाथू ला से जाएंगे. हर जत्थे में 50 तीर्थयात्री होंगे. विधायक भूटिया ने बताया कि वे संबंधित विभागों के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर यात्रा मार्ग की सुविधाओं का जायज़ा ले रहे हैं और जल्द ही पर्यटन विभाग को विस्तृत प्रस्ताव भेजा जाएगा. उन्होंने कहा कि हमने इस क्षेत्र के विकास को लेकर कई सुझावों पर चर्चा की है. अब विस्तृत लागत का आकलन करके पर्यटन विभाग को सौंपा जाएगा.
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