'सरकार की राय से अलग बोलना देशद्रोह नहीं', फारूक अब्दुल्ला के केस में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

फारूक अब्दुल्ला को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने कहा कि सरकार की राय से अलग और विरुद्ध राय रखने वाले विचारों की अभिव्यक्ति को देशद्रोही नहीं कहा जा सकता.

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जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला (फाइल फोटो) जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला (फाइल फोटो)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 03 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 1:28 PM IST
  • देशद्रोह का केस चलाने की याचिका खारिज
  • याचिकाकर्ता पर लगा 50 हजार का जुर्माना

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने कहा कि सरकार की राय से अलग और विरुद्ध राय रखने वाले विचारों की अभिव्यक्ति को देशद्रोही नहीं कहा जा सकता. दरअसल, फारूक के अनुच्छेद 370 पर दिए गए बयान के खिलाफ एक याचिका दाखिल की गई थी.

इस याचिका में मांग की गई थी कि फारूक अब्दुल्ला के बयान को देखते हुए उन पर देशद्रोह का मामला दर्ज किया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने वाली याचिका को खारिज कर दिया. साथ ही याचिकाकर्ता रजत शर्मा पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

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याचिकाकर्ता का आरोप है कि फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर अनुच्छेद-370 की बहाली के लिए चीन से मदद लेने की बात कही थी. इस आरोप को नेशनल कॉन्फ्रेंस ने खारिज कर दिया था. पार्टी ने कहा कि अब्दुल्ला ने कभी भी नहीं कहा कि चीन के साथ मिलकर हम अनुच्छेद 370 की वापसी कराएंगे, उनके बयानों को गलत तरीके से और तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया.

रजत शर्मा ने अपनी याचिका में कहा, 'फारूक अब्दुल्ला ने देशद्रोही कार्य किया है, उनके खिलाफ ना केवल गृह मंत्रालय को कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए बल्कि उनकी संसद सदस्यता भी रद्द की जाए. अगर उनको संसद सदस्य के तौर पर जारी रखा जाता है तो इसका अर्थ है कि भारत में देश-विरोधी गतिविधियों को स्वीकार किया जा रहा है और ये देश की एकता को नुकसान पहुंचाएगा.'

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सुप्रीम कोर्ट ने रजत शर्मा की याचिका को खारिज करते हुए उस पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. कोर्ट ने ये जुर्माना इसलिए लगाया, क्योंकि याचिकाकर्ता फारूक अब्दुल्ला के उस कथित बयान को साबित नहीं कर पाया, जिसमें उन्होंने अनुच्छेद 370 पर भारत के खिलाफ चीन और पाकिस्तान की मदद मांगी थी.

 

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