जमात-ए-इस्लामी हिंद (JIH) ने समान नागरिक संहिता (UCC) पर विधि आयोग को अपने सुझाव भेजे हैं. JIH ने विधि आयोग से आग्रह किया कि वह भारत सरकार को पर्सनल लॉ में हस्तक्षेप न करने की सलाह दे. JIH का कहना है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ को मुसलमानों द्वारा अनिवार्य धार्मिक अभ्यास का हिस्सा माना जाता है और 'समान नागरिक संहिता' का सटीक अर्थ अस्पष्ट है.
JIH का कहना है कि किसी बहु-धार्मिक और बहुसांस्कृतिक देश में आस्था-आधारित और प्रथागत प्रथाओं को छोड़कर समान नागरिक संहिता लागू करना भारत के लिए न केवल इच्छा के विपरीत होगा, बल्कि यह समाज के ताने-बाने और एकजुटता के लिए भी खतरा पैदा करेगा.
जमात-ए-इस्लामी हिंद ने कहा कि हम विधि आयोग को अपने पिछले रुख को बरकरार रखने की सलाह देना चाहेंगे और भारत सरकार को सिफारिश करेंगे कि उसे व्यक्तिगत कानूनों में हस्तक्षेप करने के किसी भी गलत प्रयास से बचना चाहिए.
BJP का साथ छोड़ रही हैं पार्टियां
यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने की बात करने वाली बीजेपी अब इस मामले में अकेले पड़ती नजर आ रही है. यूसीसी को लेकर देश में हो रहे विरोध में बीजेपी के सहयोगी दल भी शामिल होते जा रहे हैं. इन दलों में अब तमिलनाडु में बीजेपी की गठबंधन सहयोगी पीएमके भी शामिल हो गई है. पीएमके का कहना है कि यूसीसी राष्ट्रीय एकता और विकास के खिलाफ है. पीएमके अध्यक्ष डॉ. अंबुमणि रामदास ने 22वें कानून आयोग के अध्यक्ष को पत्र लिखकर बताया है कि उनकी पार्टी यूसीसी का विरोध क्यों कर रही है.
'UCC हमारी संस्कृति के खिलाफ'
मेघायल सीएम पूर्वोत्तर में बीजेपी के सहयोगी दल नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) के चीफ और मेघालय के सीएम कॉनराड संगमा ने UCC पर बयान दिया कि समान नागरिक संहिता भारत के वास्तविक विचार के विपरीत है. यह देश के लिए सही नहीं है. भारत एक विविधतापूर्ण देश है, विविधता ही हमारी ताकत है.
अमित भारद्वाज