क्या ट्विटर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की पैरवी करने वाला प्लेटफॉर्म है या फिर वो एक ऐसे मंच में तब्दील हो गया है जो किसी भी देश की सरकार की पसंद या नापसंद के अनुसार बर्ताव करता है. ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डोर्सी के हालिया बयानों के बाद से यह बहस एक बार फिर चर्चा का विषय बन गई है.
डोर्सी ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान दावा किया था कि साल 2021 में किसान आंदोलन के दौरान भारत सरकार ने ट्विटर पर काफी दबाव बनाया था कि वे इन प्रदर्शनों को कवर करने वाले और सरकार की आलोचना कर रहे ट्विटर अकाउंट को ब्लॉक कर दें.
डोर्सी ने बताया था कि एक तरह से हमसे कहा गया था कि भारत में ट्विटर को बंद कर दिया जाएगा. आपके कर्मचारियों के घरों पर छापेमारी की जाएगी, जो उन्होंने किया. सरकार की बात नहीं मानने पर ट्विटर ऑफिस बंद करने को कहा गया था. ये सब भारत में हो रहा था, जो एक लोकतांत्रिक देश है.
इलेक्ट्रॉनिक एवं तकनीक राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने डोर्सी के इन आरोपों को झूठ करार देते हुए कहा था कि क्या कोई जेल गया या क्या ट्विटर को बंद किया गया? डोर्सी के कार्यकाल के दौरान ट्विटर और उनकी टीम लगातार भारतीय कानूनों का उल्लंघन कर रही थी. वह ऐसे व्यवहार कर रहे थे, जैसे भारत के कानून ट्विटर पर लागू नहीं होते.
चंद्रशेखर ने दावा किया था कि जनवरी 2021 के प्रदर्शनों के दौरान बहुत सारी भ्रामक जानकारियां फैली हुई थीं और यहां तक कि जनसंहार तक की रिपोर्ट्स थीं जो पूरी तरह से गलत थीं. भारत सरकार ट्विटर से ऐसी भ्रामक जानकारियां हटावाने के लिए बाध्य थीं क्योकि इस तरह की फर्जी खबरें हालात को और गंभीर बना सकती थी.
क्या कहती है ट्विटर की ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट?
हालांकि, ना डोर्सी और ना ही चंद्रशेखर ने इस बारे में विस्तार से जानकारी दी. इसलिए इंडिया टुडे की डेटा इंटेलिजेंस यूनिट (डीआईयू) ने ट्विटर की ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट के डेटा का विश्लेषण किया है. हमें इस रिपोर्ट के विश्लेषण के बाद यह जानकारी मिली है.
भारत में किसान आंदोलन अगस्त 2020 से दिसंबर 2021 तक चला था. इस अवधि में भारत दरअसल जापान, रूस, दक्षिण कोरिया और तुर्की के साथ ऐसे शीर्ष पांच देशों की सूची में रहा, जिन्होंने ट्विटर से कंटेंट हटाने की सर्वाधिक मांग की थी. 2020 से दिसंबर 2021 के बीच ट्विटर से कंटेंट हटाने की जितनी भी मांगें की गई, उनमें से 94 से 97 फीसदी कानूनी मांग इन पांच देशों ने की थी.
जुलाई से दिसंबर 2020 के बीच ट्विटर से कंटेंट हटाने के लिए जितनी 'लीगल डिमांड्स' की गई थी, उनमें भारत की भागीदारी 18 फीसदी थी. भारत ऐसा करने वालों में दूसरे नंबर पर रहा. भारत ने कंटेंट हटाने के लिए और अकाउंट बंद करने के लिए ट्विटर से ऐसी 7000 लीगल डिमांड्स की थी, जो अब तक भारत की ओर से की गई सबसे अधिक लीगल डिमांड्स थीं.
जनवरी से जून 2021 के बीच ट्विटर से कंटेंट हटाने को लेकर जितनी लीगल डिमांड की गई, उसमें से भारत की ओर से 11 फीसदी यानी 5000 अनुरोध किए गए थे.
डेटा से यह भी पता चलता है कि साल दर साल ट्विटर से कंटेंट हटाने को लेकर हजारों लीगल डिमांड की जाती हैं और यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. जुलाई से दिसंबर 2020 के बीच 19000 से अधिक ऐसे अकाउंट की पहचान की गई, जिनके खिलाफ ट्विटर से एक्शन लेने को कहा गया.
ट्विटर ने कितना पालन किया?
ट्विटर के डेटा के मुताबिक, जुलाई 2020 से दिसंबर 2021 के बीच ट्विटर से कंटेंट हटाए जाने की जो मांग की गई थी. उस पर एक्शन लेते हुए ट्विटर ने अधिक अकाउंट ब्लॉक नहीं किए. सरल शब्दों में कहें तो जुलाई-दिसंबर 2020 के बीच नौ फीसदी, जनवरी-जून 2021 के बीच 12 फीसदी और जुलाई-दिसंबर 2021 के बीच में 20 फीसदी कंटेंट ही ट्विटर से हटाए गए.
डेटा से पता चलता है कि इन्हीं 18 महीनों के दौरान भारत ने दुनियाभर में सबसे अधिक ट्विटर अकाउंट ब्लॉक करने की मांग की थी. जनवरी-जून 2021 क दौरान भारत ने सबसे अधिक अकाउंट ब्लॉक करने को कहा था लेकिन ट्विटर ने भारत की मांग के आधार पर 1300 अकाउंट पर ही रोक लगाई. भारत के सूचना प्रौद्योगिकी एक्ट 2000 के तहत जारी किए गए आदेश का पालन करते हुए ट्विटर ने इन अकाउंट पर रोक लगाई.
मार्च 2023 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन 18 महीनों के डेटा के आधार पर ट्विटर ने भारत के अनुरोध पर जिन अकाउंट को बंद किया. उनकी संख्या बहुत कम थी. यह वह समय था, जब एलन मस्क ने ट्विटर की कमान संभाली थी. इस दौरान ट्विटर ने भारत सरकार के अनुरोधों का सिर्फ 20 फीसदी ही पालन किया.
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