'खतरा अंतरराष्ट्रीय तो समाधान भी अंतरराष्ट्रीय होना चाहिए', एडेप्टिव डिफेंस को लेकर बोले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

राजनाथ सिंह ने कहा,'एडेप्टिव डिफेंस केवल पिछले खतरों का जवाब नहीं है, बल्कि आने वाले खतरों का पूर्वानुमान लगाने और उसके लिए तैयार रहने की एक सक्रिय रणनीति भी है. भारत को अपने देश के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए अपने रक्षा तंत्र को लगातार विकसित करना चाहिए.'

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रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (फाइल फोटो) रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (फाइल फोटो)

शिवानी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 12 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 2:39 PM IST

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली रक्षा वार्ता (DDD) 2024 के उद्घाटन समारोह को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने आधुनिक युद्ध की जटिलताओं और सामने आती सुरक्षा चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए ‘एडेप्टिव डिफेंस’ रणनीति के लिए सरकार का दृष्टिकोण प्रस्तुत किया. उन्होंने कहा कि आज के तेजी से विकसित हो रहे वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में अनुकूलन की क्षमता सिर्फ रणनीतिक फायदा नहीं बल्कि एक जरूरत भी है.

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राजनाथ सिंह ने कहा,'एडेप्टिव डिफेंस केवल पिछले खतरों का जवाब नहीं है, बल्कि आने वाले खतरों का पूर्वानुमान लगाने और उसके लिए तैयार रहने की एक सक्रिय रणनीति भी है.' उन्होंने कहा कि भारत को अपने देश के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए अपने रक्षा तंत्र को लगातार विकसित करना चाहिए. जैसे-जैसे हमारे देश के लिए खतरे विकसित हुए हैं, वैसे-वैसे हमारी रक्षा प्रणाली और रणनीति भी विकसित होनी चाहिए. हमें न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा करने, बल्कि अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए भी आगे रहना होगा.

'ड्रोन तकनीक में वैश्विक नैता बनने की तैयारी'

रक्षा मंत्री ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), ड्रोन और स्वार्म तकनीक जैसी उभरती हुई टेक्नोलॉजी जंग के मैदान को फिर से परिभाषित कर रही हैं. भारत ड्रोन तकनीक में वैश्विक नेता बनने के लिए खुद को तैयार कर रहा है. यह पहल न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान देगी, बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देगी और हमारे आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को मजबूत करेगी.

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'चुनौती के साथ वरदान भी है परस्पर जुड़ाव'

राजनाथ सिंह ने रक्षा रणनीतियों में मजबूत अंतरराष्ट्रीय सहयोग का आह्वान किया. उन्होंने कहा,'वर्तमान भू-राजनीतिक गतिशीलता सहयोग और दृष्टिकोण, ज्ञान और रणनीतियों के आदान-प्रदान की मांग करती है. हमारा परस्पर जुड़ाव जितना एक चुनौती है, उतना ही एक वरदान भी है. अगर हमारे खतरे अंतरराष्ट्रीय हैं तो हमारे समाधान भी अंतरराष्ट्रीय होने चाहिए.' 

बहुआयामी खतरों के खिलाफ ढाल हैं रणनीतियां

रक्षा मंत्री ने आगे कहा,'पारंपरिक रक्षा पद्धतियों का परीक्षण नए युग के हाइब्रिड युद्ध में किया जा रहा है, जिसमें शारीरिक और मनोवैज्ञानिक दोनों आयाम शामिल हैं. डिजिटलीकरण और सूचना अधिभार के युग में हम अभूतपूर्व पैमाने पर मनोवैज्ञानिक युद्ध का सामना कर रहे हैं. अनुकूली रक्षा रणनीतियां ऐसे बहुआयामी खतरों के खिलाफ हमारी ढाल हैं.'

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