Railway News: कभी रेलवे की पहचान थीं छोटी लाइनें, अब होंगी ब्रॉडगेज, जानें इससे क्या होगा फायदा

आधुनिक ट्रेनें ब्रॉडगेज पर चलती हैं, जितनी भी बड़ी और महत्वपूर्ण ट्रेनें होती हैं वो सभी इन्हीं पटरियों पर चलती हैं. ऐसे में ब्रॉडगेज हो जाने से ट्रेनों की रफ्तार बढ़ जाएगी और यात्री सुविधा को देखते हुए ट्रेनों की संख्या को आवश्यकतानुसार बढ़ाया जा सकता है.

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Indian Railways (Representational Image) Indian Railways (Representational Image)

रवि गुप्ता

  • गोरखपुर,
  • 10 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 12:09 PM IST

पूर्वोत्तर रेलवे की पहचान पहले छोटी लाइन थी लेकिन अब पूर्वोत्तर रेलवे एक बड़ी उपलब्धि हासिल करने जा रहा है. पूर्वोत्तर रेलवे की सभी रेलवे लाइन बहुत जल्द ब्रॉडगेज हो जायेंगी. मिली जानकारी के अनुसार सिर्फ पूर्वोत्तर रेलवे के आमान परिवर्तन के लिए ही 188.5 करोड़ रुपये प्रस्तावित हुए हैं. लिहाज़ा इससे जल्द ही एनई रेलवे (Northeast Railway) की सभी लाइनें ब्रॉडगेज हो जायेंगी. पूरे एनई रेलवे में बचे सात रूट की करीब 300 किलोमीटर लंबी लाइन के लिए इस बार के बजट में 188.5 करोड़ आवंटित किए गए हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि एक साल के बाद एनई रेलवे की सभी लाइनें ब्रॉडगेज हो जाएंगी.

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अभी जिन लाइन का आमान परिवर्तन हो रहा है उसमें मुख्य रूप से इंदारा-दोहरीघाट, बहराइच-नानपारा और कप्तानगंज-थावे प्रमुख रूप से शामिल हैं. लिहाज़ा पूर्वोत्तर रेलवे में मीटर गेज देखने को नहीं मिलेगा. मिली जानकारी के अनुसार सिर्फ 4 रूटों पर 283 किलोमीटर लंबाई में छोटी लाइन बची है, जिस पर जल्द ही काम शुरू होने वाला है. ब्रॉडगेज दरअसल वह रेल ट्रैक होता है, जो 1.676 मीटर चौड़ा होता है, यानी दो पटरियों के बीच की दूरी 1.676 मीटर होती है. 

क्या है मीटर गेज और ब्रॉड गेज में अंतर?
छोटी लाइन का अपना अलग ही इतिहास रहा है. पहले ट्रेन इन्हीं से होकर चलती थीं. मीटर गेज पर मुख्य रूप से भाप के इंजन से ट्रेनें चलाई जाती थीं, लेकिन समय की मांग के अनुसार इन्हें ब्रॉडगेज में तब्दील किया जाने लगा. मीटर गेज में दो पटरियों के बीच की दूरी 1 मीटर ही होती है जबकि ब्रॉडगेज में पटरियों के बीच की दूरी 1.676 मीटर है. 

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बता दें, सभी आधुनिक ट्रेनें ब्रॉडगेज पर चलती हैं, जितनी भी बड़ी और महत्वपूर्ण ट्रेनें होती हैं वो सभी इन्हीं पटरियों पर चलती हैं. ऐसे में ब्रॉडगेज हो जाने से ट्रेनों की रफ्तार बढ़ जाएगी और यात्री सुविधा को देखते हुए ट्रेनों की संख्या को आवश्यकतानुसार बढ़ाया जा सकता है.  

पर्यटन के लिए छोड़ दी गई मैलानी नानपारा लाइन
पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल में मैलानी-नानपारा रेलखंड की 170 किलोमीटर लंबी लाइन मीटर गेज की है. यह लाइन दुधवा नेशनल पार्क होकर जाती है, जो कि विश्वस्तरीय पार्क है. इसे पर्यटन के लिहाज से बेहद मुफीद माना जाता है. गोरखपुर से मैलानी तक इस रूट पर एक ट्रेन चलाई जाती है ,जिसमें पर्यटक कोच भी लगते हैं. पर्यटन के लिहाज से ही इस लाइन को ऐसे ही छोड़ा जाएगा. 

क्या कहा मुख्य जनसंपर्क अधिकारी ने?
पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने इस बाबत बताया कि पहले पूर्वोत्तर रेलवे की पहचान छोटी लाइन ही होती थी, लेकिन अब ये इतिहास का विषय हो जाएगा क्योंकि एक लाइन को छोड़कर अन्य सभी लाइन के आमान परिवर्तन को लेकर धनराशि अवमुक्त हो गई है. जल्द ही इस पर काम शुरू हो जाएगा. 

 

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