रेलवे की एक और उपलब्धि, 'ABS' तकनीक से लैस हुआ पूरा 762 किमी लंबा रूट 

रेलगाड़ियों के परिचालन में डिजिटल तकनीकों का लाभ उठाने और सुरक्षा बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग को अपनाया जा रहा है.  2022-23 के दौरान 347 स्टेशनों पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम की सुविधा प्रदान की गई है. अब तक भारतीय रेल के 45.5 प्रतिशत हिस्से को कवर करते हुए 2888 स्टेशनों को इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग की सुविधा दी गई है. 

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 05 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 6:48 PM IST

भारतीय रेल के मौजूदा अति व्यस्ततम मार्गों पर और अधिक रेलगाड़ियां चलाने के मकसद से लाइन क्षमता बढ़ाने के लिए ऑटोमैटिक ब्लॉक सिग्नलिंग (एबीएस) एक किफायती उपाय है. भारतीय रेल काफी जोरशोर से ऑटोमैटिक ब्लॉक सिग्नलिंग को अपनाने की दिशा में काम कर रहा है. 31 दिसम्बर 2022 तक भारतीय रेल के 3706 किमी रूट पर एबीएस की सुविधा प्रदान की गई है. ऑटोमैटिक सिग्नलिंग के लागू होने से क्षमता में वृद्धि होगी जिसके परिणामस्वरूप अधिक रेल सेवाएं संभव होंगी. 

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इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग की सुविधा

रेलगाड़ियों के परिचालन में डिजिटल तकनीकों का लाभ उठाने और सुरक्षा बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग को अपनाया जा रहा है.  2022-23 के दौरान 347 स्टेशनों पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम की सुविधा प्रदान की गई है. अब तक भारतीय रेल के 45.5 प्रतिशत हिस्से को कवर करते हुए 2888 स्टेशनों को 31 दिसम्बर 2022 तक इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग की सुविधा दी गई है. 

762 किलोमीटर लंबा रूट ABS' तकनीक से लैस

हाल ही में, प्रयागराज मंडल के साथ सतनरैनी-रुंधी-फैजुल्लापुर स्टेशन खंड में ऑटोमैटिक सिग्नलिंग प्रणाली की शुरुआत के साथ 762 किलोमीटर लंबा गाजियाबाद-पं. दीन दयाल उपाध्याय खंड पूरी तरह से ऑटोमैटिक हो गया है और यह भारतीय रेल का सबसे लंबा ऑटोमैटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सेक्शन भी बन गया है.

 

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