क्या 75 फीसदी अग्निवीरों को परमानेंट करने का आएगा प्रस्ताव? अटकलों पर आई सेना की सफाई

सेना ने अग्निवीरों की स्थायी नियुक्ति बढ़ाने के दावे वाली मीडिया रिपोर्ट को पूरी तरह झूठा बताया है. सेना कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में ऐसी कोई चर्चा नहीं हुई. इस बैठक को गोपनीय रखा जाता है और रिपोर्ट में बताए गए अन्य मुद्दे भी गलत और भ्रामक हैं. यह रिपोर्ट सनसनी फैलाने के लिए बनाई गई है,

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सेना ने मीडिया की एक रिपोर्ट को भ्रामक और झूठा करार दिया (Photo: ITG) सेना ने मीडिया की एक रिपोर्ट को भ्रामक और झूठा करार दिया (Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 2:24 AM IST

सेना ने एक मीडिया रिपोर्ट पर सफाई दी है जिसमें दावा किया गया था कि 75 फीसदी अग्निवीरों को स्थायी यानी परमानेंट करने का प्रस्ताव सेना कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में रखा जाएगा. सेना ने इस खबर को पूरी तरह झूठा और अटकलों पर आधारित बताया है.

सेना ने कहा कि मीडिया में 23 अक्टूबर 2025 को एक समाचार चैनल पर छपी खबर, “सेना कमांडरों की बैठक में चर्चा: अग्निवीर रिटेंशन दर 25% से बढ़ाकर 75 फीसदी करने का प्रस्ताव” पूरी तरह गलत है.

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सेना की ओर से जारी बयान में कहा गया कि इस तरह की रिपोर्ट न सिर्फ भ्रामक हैं, बल्कि बेहद गैर-जिम्मेदाराना भी है. सेना कमांडरों की कॉन्फ्रेंस एक गोपनीय और बंद दरवाजे के भीतर होने वाली बैठक होती है, जिसकी चर्चा बाहर पब्लिक रूप से नहीं की जाती.

सेना ने यह भी साफ कहा कि रिपोर्ट में बताए गए ज्यादातर मुद्दे गलत हैं, जिनमें अग्निवीरों की स्थायी नियुक्तियों का प्रतिशत बढ़ाने वाला बिंदु भी शामिल है. सेना ने कहा कि यह रिपोर्ट केवल सनसनी फैलाने के लिए बनाई गई है और इसका सच्चाई से कोई संबंध नहीं है.

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रिपोर्ट में क्या था?

रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि जैसलमेर में होने वाली सेना कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में कुछ बड़े मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. इनमें मुख्य रूप से तीन बातें शामिल थीं:

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पहली बात: अग्निवीरों को स्थायी नौकरी में रखने की दर को मौजूदा 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत तक करने का प्रस्ताव. यानी अभी जहां सिर्फ 25 फीसदी अग्निवीरों को स्थायी नौकरी दी जाती है, उसे बढ़ाकर 75 फीसदी करने की बात कही गई थी.

दूसरी बात: तीनों सेनाओं (थल सेना, वायु सेना और नौसेना) के बीच तालमेल और संयुक्त कार्रवाई को और मजबूत बनाने के उपाय.

तीसरी बात: मिशन सुदर्शन चक्र के क्रियान्वयन की समीक्षा करना, यानी यह देखना कि यह योजना कितनी सफलता से लागू हो रही है.

रिपोर्ट में कहा गया था कि ये तीनों मुद्दे सेना कमांडर्स की बैठक के एजेंडे में प्रमुखता से शामिल होंगे.

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