चीन के साथ तनाव के बीच बोले विदेश मंत्री जयशंकर- सिर्फ कूटनीति से निकलेगा समाधान

विदेश मंत्री जयशंकर ने चीन के साथ सीमा विवाद पर कहा कि हमें इसके जरिए काम करना होगा. मैं चुनौतियों को कम नहीं आंक रहा हूं. मैं इस बात से सहमत हूं कि कूटनीति के माध्यम से बीच का रास्ता निकाला जाता है.

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विदेश मंत्री एस जयशंकर (फाइल-पीटीआई) विदेश मंत्री एस जयशंकर (फाइल-पीटीआई)

पॉलोमी साहा

  • नई दिल्ली ,
  • 04 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 12:04 AM IST
  • जयशंकरः सीमा पर जो कुछ होगा उससे रिश्ते भी प्रभावित होंगे
  • विदेश मंत्री जयशंकर की किताब 'द इंडिया वे' की वर्चुअल लॉन्चिंग
  • MEA: चीन की वजह से सीमा पर 3 दशक की शांति भंग हुई

चीन के साथ पूर्वी लद्दाख पर बने तनावपूर्ण माहौल के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि जैसा कि चीन पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ यथास्थिति के लिए खतरा बना हुआ है और इसका समाधान सिर्फ कूटनीति में निहित है.

विदेश मंत्री जयशंकर ने अपनी पुस्तक 'द इंडिया वे' की वर्चुअल लॉन्चिंग के अवसर पर बात करते हुए कहा, 'दोनों देशों के लिए जगह पर पहुंचना अनिवार्य है. इस पर बहुत सवारी है. हमारी स्थिति स्पष्ट हो गई है कि हमारे पास समझौते और समझ हैं, जिन्हें स्पष्ट रूप से देखा जाना चाहिए. किसी भी पक्ष को यथास्थिति नहीं बदलनी चाहिए. सीमा पर जो कुछ होता है, वह रिश्ते को प्रभावित करेगा.'

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जयशंकर ने आगे कहा, 'हमें इसके जरिए काम करना होगा. मैं चुनौतियों को कम नहीं आंक रहा हूं. मैं इस बात से सहमत हूं कि कूटनीति के माध्यम से बीच का रास्ता निकाला जाता है. ऐसा तब होगा जब दोनों पक्ष यह समझेंगे कि यह उनके हित में है कि हम वह नहीं देखें जो हमने इस गर्मी में देखा है.'

विदेश मंत्रालय की तल्ख टिप्पणी

इससे पहले दिन में, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ चीन के सबसे हालिया उकसावों के खिलाफ एक सख्त बयान जारी किया.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'यह स्पष्ट है कि पिछले चार महीनों में हम जिस स्थिति के गवाह बने हैं, वह चीनी पक्ष द्वारा की गई कार्रवाइयों का प्रत्यक्ष परिणाम है, जिन्होंने एकतरफा कोशिश के तहत यथास्थिति को प्रभावित करने की कोशिश की है. इन कार्रवाइयों के परिणामस्वरूप उन द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का उल्लंघन हुआ जिसने सीमावर्ती क्षेत्रों में पिछले तीन दशकों से शांति और अमन चैन बना रखा था.'

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MEA के प्रवक्ता ने कहा कि भारत शांतिपूर्ण बातचीत के माध्यम से सभी मुद्दों को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है. प्रवक्ता ने अंत में कहा कि हम इसलिए दृढ़ता से चीनी पक्ष से आग्रह करते हैं कि वह द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुसार पूरी तरह से सेना को हटाए और डिसएनगेंजमेंट के जरिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और अमन बहाल करने की कोशिश करें.

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