मणिपुर में फीका रहा स्वतंत्रता दिवस का जश्न, सुनसान रहीं इंफाल की सड़कें

कुछ लोगों ने केंद्र के हर घर तिरंगा अभियान में भी हिस्सा लिया और अपने घरों पर झंडे लगाए. अधिकारियों ने बताया कि चुराचांदपुर जिले के कुकी-ज़ो गांव के स्वयंसेवकों ने भी 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाया, साथ ही कांगपोकपी शहर में राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी तिरंगे लहरा रहे थे.

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मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह-फाइल फोटो मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह-फाइल फोटो

aajtak.in

  • इंफाल,
  • 15 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 5:48 PM IST

मणिपुर में मंगलवार को स्वतंत्रता दिवस का जश्न फीका रहा. दरअसल, कई उग्रवादी संगठनों ने सुबह से शाम तक आम हड़ताल का आह्वान किया था. पिछले तीन महीनों में जातीय संघर्ष में सैकड़ों लोगों की जान-माल की हानि हुई है. आम हड़ताल के कारण राज्य के ग्रामीण इलाकों और राजधानी इंफाल के प्रमुख हिस्सों में दुकानें और बाजार बंद रहे और सड़कें लगभग सुनसान रहीं. पहाड़ी और घाटी दोनों जिलों में सरकारी कर्मचारी ध्वजारोहण समारोह में भाग लेने के लिए अपने-अपने कार्यालयों में पहुंचे.

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एक सरकारी कर्मचारी रॉबिन लैशराम ने कहा, 'मैं सुबह 8.30 बजे के आसपास कार्यालय पहुंचा और ध्वजारोहण समारोह में भाग लिया. मेरे अधिकांश सहकर्मी वहां थे. समारोह के बाद एक छोटी सभा हुई, जहां हम सभी ने वर्तमान स्थिति पर चर्चा की.'

सुनीता देवी, जो इस साल के अंत में रिटायर होंगी स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने के लिए अपने कार्यालय पहुंचने वाली पहली महिला थीं. उन्होंने कहा, कार्यालय में यह मेरा आखिरी वर्ष है. उसके बाद, मैं दिल्ली जाऊंगी और अपने बेटे के साथ रहूंगी. जातीय संघर्ष शुरू होने से पहले, मैंने स्वतंत्रता दिवस पर अपने कार्यालय के सहयोगियों के लिए एक विस्तृत पार्टी की व्यवस्था करने के बारे में सोचा था. लेकिन मुझे ये फैसला वापस लेना पड़ा. क्योंकि जश्न मनाने के लिए शायद ही कुछ बचा है.

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स्थानीय व्यवसायी सरत ने कहा कि पिछले तीन महीनों में जान-माल का भारी नुकसान हुआ है और इसलिए जश्न का कोई मूड नहीं है. मेरे बहनोई, जिनका घर मोरेह में जला दिया गया था, इंफाल में एक राहत शिविर में हैं. हमने उनके परिवार के लिए कुछ विशेष चीजें बनाई हैं और इसे देने के लिए वहां जाएंगे. यह उस दिन के लिए हमारा उत्सव होगा.

कुछ लोगों ने केंद्र के हर घर तिरंगा अभियान में भी हिस्सा लिया और अपने घरों पर झंडे लगाए. अधिकारियों ने बताया कि चुराचांदपुर जिले के कुकी-ज़ो गांव के स्वयंसेवकों ने भी 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाया, साथ ही कांगपोकपी शहर में राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी तिरंगे लहरा रहे थे.

इस बीच, दो दशकों से अधिक समय में पहली बार स्वतंत्रता दिवस पर राज्य में कोई हिंदी फिल्म दिखाई जाएगी. आदिवासी संगठन हमार स्टूडेंट्स एसोसिएशन (एचएसए) ने मंगलवार शाम चुराचांदपुर जिले के रेंगकाई (लामका) में फिल्म प्रदर्शित करने की योजना बनाई है. हालांकि, इसमें फिल्म के नाम का खुलासा नहीं किया गया.

एचएसए ने कहा कि मणिपुर में सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित आखिरी हिंदी फिल्म 1998 में 'कुछ कुछ होता है' थी. हिंदी फिल्मों की स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध सितंबर 2000 में विद्रोही संगठन रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट द्वारा लगाया गया था.

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अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से मणिपुर से शांति की खबरें लगातार आ रही हैं और केंद्र और राज्य सरकार वहां की समस्याओं का समाधान खोजने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है.

प्रधानमंत्री ने कहा, 'देश मणिपुर के लोगों के साथ है. देश को शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहिए जिसे पिछले कुछ दिनों से मणिपुर के लोगों ने शुरू किया है. केवल शांति से ही समाधान निकल सकता है.'

स्वतंत्रता दिवस पर अपने परंपरागत भाषण में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि कुछ गलतफहमियों, निहित स्वार्थों की कार्रवाइयों और देश को अस्थिर करने की विदेशी साजिश के कारण बहुमूल्य जिंदगियों का नुकसान हुआ.
 

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