फर्जी राजनीतिक चंदे पर आयकर विभाग की बड़ी कार्रवाई, 200 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी

आयकर विभाग को इस संबंध में कई संदिग्ध दस्तावेज और लेनदेन के प्रमाण मिले हैं. इसी के आधार पर यह सघन छापेमारी अभियान चलाया जा रहा है. इसके अलावा, फर्जी मेडिकल खर्च और ट्यूशन फीस के नाम पर भी टैक्स में कटौती का दावा करने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है.

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छापेमारी में आयकर विभाग को कई संदिग्ध दस्तावेज मिले हैं. (Photo: Representational) छापेमारी में आयकर विभाग को कई संदिग्ध दस्तावेज मिले हैं. (Photo: Representational)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 11:13 PM IST

आयकर विभाग ने राजनीतिक दलों को दिए गए चंदे में फर्जी टैक्स छूट के एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए देशभर में 200 से ज्यादा जगहों पर छापेमारी की है. यह कार्रवाई इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80GGC के दुरुपयोग को लेकर की जा रही है, जिसमें कई दलालों और बिचौलियों के शामिल होने की आशंका है.

क्या है मामला?

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आयकर कानून की धारा 80GGC के तहत, कोई भी व्यक्ति किसी राजनीतिक दल को दिए गए चंदे पर टैक्स में छूट का दावा कर सकता है. लेकिन जांच में सामने आया कि कई लोगों ने फर्जी रसीदें और बनावटी बिल दिखाकर ऐसे दान का दावा किया, जबकि वास्तव में चंदा दिया ही नहीं गया था.

कैसे हुआ खुलासा?

  • आयकर विभाग को जांच के दौरान कई संदिग्ध दस्तावेज और फर्जी लेनदेन के प्रमाण मिले.
  • कुछ मामलों में राजनीतिक दलों के नाम पर रसीदें छापकर टैक्स में भारी छूट ली गई.
  • कई बिचौलियों और CA नेटवर्क की भूमिका भी जांच के दायरे में है.

कहां-कहां मारे गए छापे?

सूत्रों के मुताबिक, आयकर विभाग की टीमें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, अहमदाबाद, भोपाल, पटना, जयपुर, लखनऊ समेत कई शहरों में छापेमारी कर रही हैं. इस कार्रवाई में प्रोफेशनल्स, रिटर्न फाइल करने वाले एजेंट, और चंदे की रसीदें तैयार करने वाले नेटवर्क शामिल हैं.

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अन्य टैक्स कटौती वाले मामलों में भी कार्रवाई

केवल फर्जी चंदे ही नहीं, बल्कि नकली मेडिकल खर्च, बनावटी ट्यूशन फीस और दवा बिलों के सहारे टैक्स छूट लेने वालों पर भी आयकर विभाग की नजर है. ऐसे मामलों में भी कुछ जगह छापेमारी की गई है.

अब आगे क्या?

आयकर विभाग इन सभी मामलों में विस्तृत पूछताछ करेगा और फर्जी रसीदें दिखाकर टैक्स में छूट लेने वालों को नोटिस भेजेगा. साथ ही चंदा देने के फर्जी दावों को मंजूरी देने वाले नेटवर्क पर भी शिकंजा कसेगा.

इस पूरे अभियान का उद्देश्य है कि आमदनी छुपाकर, फर्जी दस्तावेजों के जरिए टैक्स में छूट लेने वालों को बेनकाब किया जाए, ताकि टैक्स व्यवस्था में पारदर्शिता बनी रहे.

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