मणिपुर के इंफाल वेस्ट जिले के लांगथाबल में मंगलवार सुबह एक कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट के लिए हुई खुदाई के दौरान द्वितीय विश्व युद्ध के सैन्य अवशेषों का एक जखीरा मिला. ये अवशेष मजदूरों द्वारा सतह से लगभग चार फीट नीचे खोजे गए, जिससे स्थानीय अधिकारियों और इतिहासकारों में तत्काल रुचि उत्पन्न हो गई.
बरामद वस्तुओं में जंग लगे गोला-बारूद के खोल, एक हथगोला, पानी की बोतलें, कुदालें, टिन के डिब्बे और कई अज्ञात सैन्य सामग्री शामिल थीं. ये अवशेष मणिपुर पुरातत्व विभाग को सौंप दिए गए. अधिकारियों का मानना है कि ये चीजें 1944 में इम्फाल के ऐतिहासिक युद्ध के दौरान मित्र देशों (Allied Forces) की सेनाओं द्वारा छोड़े गए अवशेष हैं.
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कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट साइट जहां द्वितीय विश्व युद्ध के अवशेष मिले कांचीपुर पहाड़ियों के पास स्थित है, जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मित्र देशों की सेनाओं के लिए एक महत्वपूर्ण सैन्य शिविर था. एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा, 'ऐसा प्रतीत होता है कि यह इंफाल घाटी में द्वितीय विश्व युद्ध के बिखरे हुए अवशेषों में से एक है.' उन्होंने बताया कि ये वस्तुएं संभवतः ब्रिटिश और भारतीय सैनिकों से जुड़ी हैं, जिन्होंने इस क्षेत्र में आगे बढ़ती जापानी सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी.
मणिपुर में लड़ गया था ऐतिहासिक युद्ध
अधिकारियों ने ऐसे और अवशेषों का पता लगाने के लिए साइट पर खुदाई के प्रयास शुरू कर दिए हैं. बैटल ऑफ कोहिमा के साथ लड़ा गया इंफाल का युद्ध, दक्षिण-पूर्व एशिया में द्वितीय विश्व युद्ध के सबसे भीषण अभियानों में से एक था. मार्च से जुलाई 1944 तक, रॉयल जापान आर्मी ने, सुभाष चंद्र बोस की आजा हिंद फौज (INA) के साथ मिलकर, मणिपुर के रास्ते ब्रिटिश-नियंत्रित भारत पर आक्रमण करने का प्रयास किया.
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खुदाई में मिले अवशेषों का होगा संरक्षण
हालांकि, ब्रिटिश नेशनल आर्मी म्यूजियम के अनुसार, मित्र देशों की सेनाओं ने उनके आक्रमण को विफल कर दिया, जिसे बाद में ब्रिटेन की सबसे बड़ी लड़ाइयों में से एक के रूप में जाना गया. इंफाल घाटी में भीषण युद्ध में दोनों पक्षों को भारी क्षति हुई, जिसमें 54,000 से अधिक जापानी सैनिक मारे गए या घायल हुए, वहीं मित्र देशों के 12,000 से अधिक सैनिक हताहत हुए. हाल की खोज ने मणिपुर की युद्धकालीन विरासत को संरक्षित करने में नई रुचि जगा दी है.
इंफाल वॉर म्यूजियम में रखे जाएंगे अवशेष
अधिकारियों ने कहा है कि वे सैन्य इतिहासकारों और पुरातत्वविदों के साथ मिलकर इन अवशेषों की जांच, दस्तावेजीकरण और सुरक्षा करेंगे. इन वस्तुओं को इंफाल वॉर म्यूजियम में प्रदर्शित करने की संभावना पर भी चर्चा हो रही है, जो द्वितीय विश्व युद्ध में राज्य की महत्वपूर्ण भूमिका का स्मरण कराता है. जैसे-जैसे खुदाई आगे बढ़ेगी, विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में और अधिक अवशेष सामने आ सकते हैं, जो मणिपुर की धरती के नीचे दबे सैन्य इतिहास के बारे में गहरी जानकारी प्रदान करेंगे.
बेबी शिरीन