कावेरी जल बंटवारे पर कर्नाटक बंद का असर कितना गहरा रहने वाला है?

कावेरी जल बंटवारे पर कर्नाटक बंद किन संगठनों ने बुलाया है, इसका असर कितना व्यापक रहने वाला है, पौने दो लाख शिक्षकों की भर्ती पर बिहार सरकार का कन्फ्यूजन कब दूर करेगा सुप्रीम कोर्ट और क्या दिल्ली में शराब के तलबगारों के लिए आने वाला त्योहारी सीजन सूखा सूखा रहने वाला है? सुनिए 'आज का दिन' में.

Advertisement
karnatka bandh karnatka bandh

कुमार केशव / Kumar Keshav

  • ,
  • 29 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 8:40 AM IST

कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी नदी के जल बंटवारे को लेकर जारी विवाद 140 साल पुराना है. इसमें नया गतिरोध पैदा हुआ 13 सितंबर को कावेरी वाटर मैनेजमेंट अथॉरिटी के एक आदेश से, जिसमें कहा गया कि कर्नाटक अगले 15 दिन तक तमिलनाडु को कावेरी नदी से 5 हजार क्यूसेक पानी दे. कर्नाटक के किसान और दूसरे कई संगठन और संस्थान इस फैसले के विरोध में उतर आए हैं. इसी परिप्रेक्ष्य में आज कर्नाटक बंद बुलाया गया है. दो दिन पहले, 26 सितंबर को इसी मसले पर राजधानी बेंगलुरु को बंद किया गया था. प्रदर्शनकारियों ने सरकार के सामने 5 मांगें रखी थी और इस पर फैसला लेने के लिए तीन दिन की मोहलत दी थी. ऐसा न होने पर इन संगठनों ने विरोध तेज करने की चेतावनी भी दी थी. कर्नाटक के परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने तब प्रदर्शनकारियों से मुलाकात कर 5 मांगों वाला ज्ञापन लिया था. इन मांगों में तमिलनाडु को पानी न देना, संकट काल में आकलन करने चुनाव आयोग जैसी संस्था बनाने, मेकेदातु परियोजना लागू करने और किसानों-समर्थकों के खिलाफ मामले वापस लिया जाना शामिल है. तो आज के बंद में कौन से संगठन शामिल हैं और इसका कितना असर देखने को मिलेगा, प्रशासन की तरफ से क्या क़दम उठाये गए हैं? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें. 

Advertisement

-----------------------------------------------------
कर्नाटक के बाद रुख करते हैं बिहार का, जहां पौने दो लाख शिक्षकों की भर्ती का मामला अधर में लटक गया है. इसको लेकर बिहार सरकार ने कल सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दिया है. मामला बीएड पास शिक्षक अभ्यर्थियों से जुड़ा है. दरअसल, एक महीने पहले ही राज्य में 1 लाख 70 हज़ार पदों पर शिक्षकों की भर्ती के लिए बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन यानी बीपीएससी की तरफ से परीक्षा आयोजित की गई थी. इसमें आठ लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे. सबसे ज़्यादातर आवेदन प्राथमिक शिक्षक पदों के लिए आये. आंकड़ों के मुताबिक, प्राइमरी टीचर के क़रीब 80 हज़ार पद के लिए 5 लाख से ज्यादा परीक्षार्थी एग्जाम में शामिल हुए. सितंबर के आख़िरी सप्ताह में इस परीक्षा का रिजल्ट आने की संभावना थी, लेकिन इस मामले में एक नया कानूनी पेंच फंस गया है. दो सप्ताह पहले बीपीएससी ने सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया फैसले के आलोक में ये तय किया कि बीएड पास आवेदक प्राइमरी टीचर नहीं बन पाएंगे. जिसके चलते बिहार सरकार ने अब शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है. क्या है ये पूरा मामला और सुप्रीम कोर्ट के जिस फैसले को आधार बनाया जा रहा है वो क्या है और बिहार सरकार ने याचिका में क्या मांग की है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें. 

Advertisement

----------------------------------------------------------------

सितंबर महीना आख़िरी सांसें गिन रहा है. इसके बाद अक्टूबर और नवंबर त्योहारों के साये में गुजरेंगे. दशहरा और दिवाली के साथ क्रिकेट का वर्ल्ड कप भी इस दौरान लोगों का रोमांच बढ़ाएगा. लेकिन सेलिब्रेशन के ये मौक़े दिल्ली में शराब पीने वालों के लिए थोड़े फ़ीके रह सकते हैं. क्योंकि दिल्ली में कथित शराब घोटाले के चलते विवाद में आई नई एक्साइज पॉलिसी को जगह पुरानी पॉलिसी लागू कर दी गई थी. अगले 6 महीने तक दिल्ली सरकार ने मौजूदा पॉलिसी को ही जारी रखने का फैसला किया है. इसी वजह से दिल्ली में प्राइवेट कंपनियों की जगह सिर्फ सरकारी उपक्रमों के जरिए चलाई जा रही दुकानों पर ही शराब मिल रही है. तो इस पॉलिसी को कंटिन्यू करने का क्या असर दिखेगा, क्या शराब प्रेमियों को जो दिक्क़तें आ रही थीं वो बरक़रार रहेंगी और क्या दिल्ली सरकार की कमाई पर इसका इम्पैक्ट पड़ा है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें. 

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement