कोरोना काल में फ्रंटलाइन वर्कर्स और डॉक्टरों ने सक्रिय भूमिका निभाई है. उनकी वजह से इस महामारी के दौर में भी कई लोग अपनी जान बचा पाए हैं और कई स्वस्थ होकर अपने घर भी लौटे हैं. लेकिन इस मुश्किल समय में डॉक्टरों ने जरूर अपनी पूरी जान लगा दी, लेकिन बदले में कई जगह उन्हें सिर्फ तिरस्कार मिला, उन पर जानलेवा हमले किए गए, उनके साथ बदसलूकी हुई. अब उन्हीं घटनाओं से नाराज होकर 15 जून को IMA 'नेशनल डिमांड डे' मनाने जा रहा है.
IMA का 'नेशनल डिमांड डे'
कहा गया है कि केंद्र सरकार उनकी मांगों पर अमल करे और इस कोरोना काल में डॉक्टरों को सुरक्षा प्रदान करे. IMA की तरफ से तीन मुख्य मांगें रखी गई हैं. पहली-हर अस्पताल में सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम हो. दूसरी-अस्पतालों को प्रोटेक्टटेड जोन घोषित किया जाए. तीसरी- आरोपियों के खिलाफ फास्ट ट्रैक कोर्ट के तहत कार्रवाई हो और सख्त सजा का प्रावधान रहे. अब ये वो मांगे हैं जिनको लेकर पहले भी विरोध प्रदर्शन देखने को मिला है. बस फर्क ये है कि इस बार खुद IMA सक्रिय भूमिका निभाता दिख रहा है.
IMA ने साफ कर दिया है कि 15 जून को सभी डॉक्टर काली पट्टी, झंडे और मास्क के जरिए अपना विरोध जाहिर करेंगे. इस प्रदर्शन को IMA के प्रमुख बिल्डिंग और तमाम बड़े अस्पतालों में अंजाम दिया जाएगा. इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक याचिका भी भेजी जा रही है, जिसमें डॉक्टरों पर हुए हमले की जानकारी होगी. वहीं अपनी मांगों को ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए मीडिया का भी सहारा लिया जाएगा और 15 जून को देश के अलग-अलग कोनों में प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जाएगा.
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बाबा रामदेव पर क्या बोला?
वैसे एक तरफ डॉक्टर्स 15 जून को विरोध प्रदर्शन करने जा रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ IMA की तरफ से फिर बाबा रामदेव और उनके विवादित बयान का जिक्र कर दिया गया है. कहा गया है कि रामदेव ने अपने बयान को वापस जरूर लिया है, लेकिन उनके उस बयान से डॉक्टरों को काफी ठेस पहुंची है.
IMA ने पीएम नरेंद्र मोदी का भी शुक्रिया अदा किया है. उनके मुताबिक पीएम ने साफ कर दिया है कि वैक्सीन को लेकर गलत प्रचार नहीं करना है, ऐसा होने से सिर्फ देश का नुकसान होगा. IMA ने प्रधानमंत्री के इस बयान का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि जल्द डॉक्टरों पर हो रहे हमलों पर भी रोक लगेगी.
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