यूपी में 1985 बैच के आईएएस इफ्तिखारुद्दीन (IAS Iftikharuddin) के वायरल वीडियो के बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या सीनियर आईएएस अफसर इफ्तिखारुद्दीन भी अवैध धर्मांतरण के कानून की जद में आएंगे? क्या उनपर भी कानूनी शिकंजा कसेगा? ऐसे में यह समझना जरूरी है कि उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 क्या है? जिसके तहत अवैध धर्मांतरण में कार्रवाई होती है.
1985 बैच के आईएएस और वर्तमान में परिवहन विभाग के चेयरमैन इफ्तिखारुद्दीन का लगभग 4 साल पुराना वीडियो सामने आया है. कमिश्नर कानपुर रहते इफ्तिखारुद्दीन सरकारी आवास में मौलानाओं के साथ धर्मांतरण को लेकर तकरीर कर रहे हैं, भाषण दे रहे हैं. सरकार ने इस पूरे मामले की जांच के लिए 7 दिन का वक्त मुकर्रर करते हुए डीजी और एडीजी रैंक के दो आईपीएस अधिकारियों की एसआईटी गठित कर दी है. लेकिन इफ्तिखारुद्दीन के इस वीडियो से सवाल खड़े होने लगे हैं कि क्या आईएएस अफसर पर अवैध धर्मांतरण के तहत कानूनी कार्रवाई होगी?
कानून बाद में बना, इफ्तिखारुद्दीन का वीडियो पुराना
इस मामले पर हाईकोर्ट अधिवक्ता व अवैध धर्मांतरण कानून के जानकार प्रिंस लेनिन का कहना है कि उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मांतरण के लिए बनाया गया उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध कानून 2020 में बना है और आईएएस इफ्तिखारुउद्दीन ((IAS Iftikharuddin Viral Video) का वीडियो 2017 या उससे पहले का है, मतलब कानून बनने से पहले का.
कानून के लागू होने का नैसर्गिक सिद्धांत है कि कानून से पहले किए गए कृत्य उस कानून की जद में नहीं आएंगे. ऐसे में इस वीडियो के जरिए इफ्तिखारुद्दीन पर कोई भी कानूनी कार्रवाई करना मुश्किल होगा, बशर्ते कोई अन्य व्यक्ति पुलिस के समक्ष आकर शिकायत करें कि उस समय इफ्तिखारउद्दीन ने लालच देकर या धमका कर उसका धर्म परिवर्तन कराया या धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश की, तभी कानूनी कार्रवाई हो सकेगी.
यूपी के अवैध धर्मांतरण कानून में क्या हैं प्रावधान?
अवैध धर्मांतरण के लिए बनाए गए उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध कानून की बात करें तो जबरन धर्मांतरण उत्तर प्रदेश में दंडनीय अपराध माना गया है. इसमें 1 साल से 10 साल तक की सजा और 15 हजार से ₹50 हजार तक के जुर्माने का प्रावधान रखा गया है. इतना ही नहीं अगर किसी नाबालिग या अनुसूचित जाति जनजाति की महिला के साथ ऐसा होता है तो 3 से 10 साल तक की सजा और 25 हजार तक का जुर्माना ठोका जाएगा. इसके साथ ही सामूहिक धर्मांतरण की स्थिति में सामूहिक धर्मांतरण कराने वाले संगठन पर 50 हजार का जुर्माना, संगठन का लाइसेंस रद्द और इस सामूहिक धर्मांतरण कराने वालों को 3 से 10 साल की सजा होगी.
संतोष शर्मा