पाकिस्तान से भारत लौटीं गीता एक बार फिर सुर्खियों में हैं. वह राजा भोज स्कूल में कक्षा 8वीं की परीक्षा देने के लिए मंगलवार को भोपाल पहुंचीं, जहां उन्होंने अपना पहला पेपर संस्कृत में दिया. 33 साल की गीता मूक-बधिर हैं. उन्होंने सांकेतिक भाषा सीखी है. उनके अनुवादक गजेंद्र प्रोहित ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा कि वह आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं और सरकारी नौकरी करना चाहती हैं.
अपने अनुवादक के माध्यम से गीता ने कहा, 'मैं आत्मनिर्भर बनना चाहती हूं और सरकारी नौकरी कर एक सीनियर-लेवल की अधिकारी बनना चाहती हूं. मैंने सांकेतिक भाषा भी सीखी है. मैं जीवन में आगे बढ़ना चाहती हूं और कई लोगों के लिए प्रेरणा बनना चाहती हूं.'
मां के लिए घर बनाने का सपना
गीता ने अपने जीवन को संघर्षपूर्ण बताते हुए कहा कि वह बहुत गरीब हैं और एक झोपड़ी में रहती हैं. वह पढ़-लिखकर जीवन में आगे बढ़ना चाहती हैं और अपना खुद का घर बनाना चाहती हैं. उन्होंने कहा, 'मेरी मां बहुत गरीब हैं और वह एक झोपड़ी में रहती हैं. इसलिए मेरा लक्ष्य एक घर बनाना है, जिसके लिए मैंने पढ़ाई शुरू की और मैं लगातार पढ़ रही हूं.'
अपना पहला पेपर देने के बाद खुशी जाहिर करते हुए गीता ने कहा, 'आज मेरा पहला पेपर था और मैं बहुत उत्साहित थी. मैंने कड़ी मेहनत से पढ़ाई की और मुझे विश्वास है कि मैं अपनी परीक्षा पास कर लूंगी. मैं अपने पेपर देने के लिए बहुत उत्साहित हूं.'
'मुझे भरोसा है कि सरकार साथ देगी'
गीता ने कहा कि वह अपनी 10वीं, 12वीं और कॉलेज की पढ़ाई पूरी करना चाहती हैं और समाज में अपने लिए एक मुकाम हासिल करना चाहती हैं. सरकार में अपना विश्वास व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, 'मुझे पता है कि मेरी उम्र ज्यादा है लेकिन फिर भी मैं उच्चतम स्तर तक पहुंचने की पूरी कोशिश करूंगी. सरकार में सर्वोच्च पदों में से एक तक पहुंचना मेरा सपना है और मुझे पूरा विश्वास है कि सरकार मेरा साथ देगी.'
साल 2015 में पूर्व विदेश मंत्री दिवंगत सुषमा स्वराज के प्रयासों से मूक-बधिर गीता भारत आई थीं. पाकिस्तान से भारत लौटने के बाद गीता करीब पांच साल तक इंदौर में रहीं, इस दौरान उनके माता-पिता की तलाश की गई.
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