पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर बनाम प्रिया रमानी मानहानि केस में 17 फरवरी को कोर्ट सुनाएगा फैसला

अक्टूबर 2018 में किए गए इस मानहानि के मामले में जब सुनवाई आखिरी दौर में थी तो उस वक्त जज बदल गए. इस वजह से इस मामले की सुनवाई पिछले साल अक्टूबर में दोबारा शुरू हुई. इस मानहानि मामले में कोर्ट को यह तय करना है कि प्रिया रमानी के ट्वीट से एमजे अकबर की प्रतिष्ठा खराब हुई है या नहीं.

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पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर

पूनम शर्मा

  • नई दिल्ली ,
  • 10 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 2:50 PM IST
  • पूर्व केंद्रीय मंत्री MJ अकबर बनाम प्रिया रमानी मानहानि केस
  • रॉउज एवेन्यू कोर्ट 17 फरवरी को सुनाएगा फैसला
  • MeToo कैंपेन के तहत रमानी ने लगाया था आरोप

पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर द्वारा पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर किये गए मानहानि के मामले दिल्ली की रॉउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने एमजे अकबर बनाम प्रिया रमानी मानहानि केस में 17 फरवरी दोपहर 2 बजे फैसला सुनाने की बात कही. दोनों पक्षों ने पहले ही लिखित सबमिशन दर्ज की हैं. इससे पहले अनुमान था कि कोर्ट बुधवार को 2 बजे के बाद अपना फैसला सुनाएगी. फिलहाल, इस मानहानि मामले में कोर्ट को यह तय करना है कि प्रिया रमानी के ट्वीट से एमजे अकबर की प्रतिष्ठा खराब हुई है या नहीं.

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पिछले हफ़्ते अकबर की ओर से दाखिल किए गए मानहानि के मामले में दोनों पक्षों की बहस पूरी हो गई थी और कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. राउज एवेन्यू कोर्ट में बहस के दौरान एमजे अकबर की वकील गीता लूथरा ने दलील दी कि यह मामला यौन उत्पीड़न का नहीं है, बल्कि उनकी प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है. 

अकबर की वकील ने कहा कि प्रिया रमानी ने कल तक अकबर को अपना प्रोफेशनल हीरो बताया. रमानी के आरोपों का सच्चाई से कोई संबंध नहीं है. उन्होंने यह दलील भी दी कि यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली अन्य महिलाओं के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई न करना, मौजूदा कार्यवाही में कानूनी बचाव का आधार नहीं बनाया जा सकता.

जबकि प्रिया रमानी ने अपनी वक़ील रबेका जॉन के माध्यम से कोर्ट को कहा कि यौन उत्पीड़न करने का आरोपी व्यक्ति भला उच्च प्रतिष्ठा वाला कैसे हो सकता है. सिर्फ़ किताबें लिख देने से कोई प्रतिष्ठित नहीं हो सकता. मीटू मवमेंट के दौरान रमानी ने अकबर को लेकर ट्वीट किए थे, जिसके बाद अकबर ने रमानी के खिलाफ 15 अक्टूबर 2018 को एक आपराधिक मानहानि की शिकायत दायर की थी. 17 अक्टूबर 2018 को केंद्रीय मंत्री के पद से एमजे अकबर को इस्तीफा देना पड़ा था.

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गौरतलब है कि MeToo कैंपेन के तहत पूर्व विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर पर यौन शोषण के आरोप उनके साथ काम करने वाली महिला पत्रकारों ने ही लगाए थे. करीब 20 महिला पत्रकारों ने उन पर छेड़खानी के आरोप लगाए थे. अकबर को इसके चलते अपने मंत्री पद से भी इस्तीफा देना पड़ा था. इसके बाद एमजे अकबर ने सबसे पहले आरोप लगाने वाली पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ मानहानि का केस किया था. 

अक्टूबर 2018 में किए गए इस मानहानि के मामले में जब सुनवाई आखिरी दौर में थी तो उस वक्त जज बदल गए. इस वजह से इस मामले की सुनवाई पिछले साल अक्टूबर में दोबारा शुरू हुई. दोनों पक्षों की तरफ से अपने अपने तर्क रखे गए. और फिर 1 फ़रवरी को रॉउज एवेन्यू कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित कर लिया.

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