कर्नाटक के धर्मस्थला में सामूहिक दफन मामले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. इस मामले में एक पूर्व सफाई कर्मी ने आजतक से एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कई सनसनीखेज खुलासे किए. कर्मी ने साल 1995 से 2014 के बीच मंदिर प्रशासन के निर्देश पर सैकड़ों शवों को दफनाने का दावा किया, जिनमें ज्यादातर महिलाओं और नाबालिगों के शव थे. उन्होंने ये भी दावा किया कि शवों पर यौन उत्पीड़न और हिंसा के निशान थे. उन्होंने ये भी दावा किया कि उन्होंने करीब 100 शवों को दफनाया है, जिनमें ज्यादातर महिलाओं के शव थे.
इंटरव्यू के दौरान जब सफाई कर्मी से पूछा गया कि आपने इतने सालों तक काम किया, अपनी शिकायत में आपने क्या-क्या उल्लेख किया था.
सफाई कर्मी ने कहा, 'मैंने शिकायत में कहा था कि हमें शवों को खोदकर निकालना चाहिए. हम अब शवों को निकाल रहे हैं, लेकिन कुछ जगहों पर अब और पहले की स्थिति में काफी अंतर है. पहले वहां पुरानी सड़कें थीं, जिन्हें हम आसानी से पहचान सकते थे. पर अब सड़क निर्माण के बाद कुछ जगह नहीं मिल रही हैं. बाहुबली हिल्स में मैंने केरल की महिला को दफनाया था, लेकिन अब वहां बहुत रेत भरी गई है.पूरा दिन खोजने के बाद भी वहां कुछ नहीं मिला.'
उन्होंने दावा किया कि उन्होंने नेत्रावती स्नान घाट पर करीब 70 शवों को दफनाया था. वहां भी बहुत काम हुआ है, किसी ने रेत भर दी है. वहां पानी भी रिस रहा था. ड्रोन कैमरे का इस्तेमाल किया गया, लेकिन केवल पानी ही दिख रहा है. जेसीबी से भी पानी रिसने के कारण शव नहीं मिले. बाहुबली हिल्स में एक और साइट पर काम जारी है. अभी-भी 1 से पांच साइट बची हैं, जहां खुदाई होने पर जानकारी मिलेगी.
वहीं, जब उनसे पूछा गया कि बीस साल पहले, जब आप यहां काम करते थे तो आपको शव दफनाने का निर्देश किसने दिए? क्या ये निर्धारित कब्रिस्तान थे या जंगल था?
इसके जवाब में उन्होंने कहा, 'शवों को दफनाने की कोई निर्धारित जगह नहीं थी. हम जंगल में ही शवों दफनाते थे, हमें जहां भी शव मिलते, वहीं दफना देते थे.'
उन्होंने दावा किया कि सिर्फ मैं नहीं, मेरे चाचा, राजू भी शवों को दफनाते थे. हमने कई जगहों पर शवों को दफनाया है. अब 20 साल बाद मुझे अपने किए पर पछतावा हो रहा है. मैं इसलिए सामने आया हूं, ताकि सभी शवों का अंतिम संस्कार कर मुझे शांति मिल सके.
ये आरोप हैं कि कुछ शव उन भक्तों के थे जो आत्महत्या कर लेते थे, ये मानकर कि यहां मरने से स्वर्ग मिलेगा. लेकिन आपने आरोप लगाया है कि आपने बलात्कार पीड़िताओं के शवों को दफनाया है. आप इन शवों को कैसे पहचानते थे? क्या आप बता सकते थे कि वे स्थानीय थे या भक्त?
इस सवाल पर सफाई कर्मी ने कहा, 'हम ये नहीं कह सकते कि वह स्थानीय थे या भक्त. हमें तो सिर्फ शव मिलते थे और उनमें से कई के शरीर पर चोट और घाव के निशान होते थे. हम चोटें देख सकते थे. हमारे पास कोई विकल्प नहीं था, हमें शव दफनाने का आदेश मिलता था और हम आदेश का पालन करते थे. शवों को दफनाने का निर्देश मंदिर सूचना केंद्र से आते थे. मैनेजर सूचना केंद्र को बताते और फिर हमें सूचित किया जाता था. कभी-कभी रूम बॉय भी हमें बताते थे, फिर हम शव दफना देते थे.'
आप कैसे बता सकते थे कि उन पर यौन उत्पीड़न हुआ था?
इस सवाल का जवाब देते हुए पूर्व सफाई कर्मी ने कहा, 'मैं पक्के तौर पर नहीं बता सकता, लेकिन जो हमने देखा, उससे यौन उत्पीड़न के संकेत मिलते थे. सही पुष्टि तो डॉक्टर ही कर सकता है, मैं कैसे कर सकता हूं?'
उनकी उम्र क्या होती थी? क्या उनमें बच्चे भी होते थे?
उन्होंने बताया कि उम्र अलग-अलग थी- 35 साल, 15, 13, यहां तक कि 40 साल भी. हमें हर उम्र के शव मिले थे.
क्या कोई इन शवों की तलाश में कभी आया?
कर्मी ने कहा कि अखबारों में कोई विज्ञापन नहीं छपता था. अगर विज्ञापन निकला होता तो शायद कोई ढूंढने आता. उस वक्त कोई नहीं आया, लेकिन अब लोग आ रहे हैं.
इसके बाद जब उनसे पूछा गया कि आपने कितने शव दफनाए? स्पॉट 1 से 13 में आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण कौन सा है?
इस पर उन्होंने कहा, 'मौजूदा जगह जहां हम खुदाई कर रहे हैं, वहां करीब 70 शव मैंने दफनाए थे. स्पॉट 13 पर हमने करीब 70–80 शव गहराई में दफनाए थे. बाकी शव पहाड़ियों में दफनाए.'
स्पॉट 6 और 11A में शव मिले हैं, लेकिन आपके खिलाफ आलोचना है कि आपने सैकड़ों शव दफनाए, फिर भी इन दोनों जगहों पर सिर्फ पुरुषों के अवशेष मिले हैं.
इस पर उन्होंने कहा, 'लोगों को जो कहना है, कहां, हमने ही लोगों को दफनाया है और हम सच बोल रहे हैं. इतने सालों बाद मिट्टी की बनावट बदल गई है, फिर भी हम जगह दिखा रहे हैं. कई जगहों पर पेड़-पौधे आ गए हैं. मशीनों से कुछ साइटों नहीं मिले तो मैं इंसान होकर कैसे पूरी तरह से पहचान सकता हूं? बहुत कुछ बदल गया है. कुछ जगह रेंज फॉरेस्ट में हैं, जहां पेड़ काटना मना है.'
वहीं, जब उनसे पूछा कि क्या वहां सरकार या ग्राम पंचायत का कोई प्रतिनिधि था?
सफाई कर्मचारी ने कहा, 'नहीं, ना सरकार से कोई था और न ग्राम पंचायत से. हमें मंदिर के सूचना केंद्र से निर्देश मिलते थे.'
तो आदेश किसने दिया- ग्राम पंचायत या सूचना केंद्र?
इस पर उन्होंने कहा, 'आदेश हमें मंदिर के सूचना केंद्र से मिलते थे, ग्राम पंचायत से नहीं.'
वहीं, जब सफाई कर्मी से पूछा गया कि क्या ग्राम पंचायत के पास उन शवों का रिकॉर्ड था? क्या मंदिर के सूचना केंद्र के पास कोई रिकॉर्ड था?
सफाई कर्मचारी ने कहा कि मुझे नहीं पता कि वे रिकॉर्ड रखते थे या नहीं. हमें मंदिर प्रशासन से आदेश मिलते थे और हम शव दफनाते थे, बस.
आप 10 साल बाद क्यों लौटे?
इस सवाल का जवाब देते हुए पूर्व सफाई कर्मी ने दावा किया कि मुझे सपनों में हड्डियां दिखती थीं. मुझे अपने किए का पछतावा था, इसलिए मैं सामने आया हूं.
आपने 100 शव दफनाए, उनमें कितनी महिलाएं और कितने पुरुष थे?
सफाई कर्मी ने कहा, 'मैंने करीब 90 महिलाएं थीं, 10 पुरुषों के शवों को दफनाया है.'
इसके बाद उनसे पूछा कि एसआईटी का दावा है कि उन्हें सिर्फ पुरुषों के अवशेष मिले हैं.
इसपर उन्होंने कहा, 'शायद उन्होंने ठीक से जांच नहीं की. मैंने उन्हें वे जगहें दिखाईं, जहां महिलाओं के शव थे. लेकिन वे कहते हैं कि पुरुषों के अवशेष मिले. मैं क्या कर सकता हूं?'
वहीं, जब उनसे पूछा गया कि क्या लोगों ने आपको शव दफनाते देखा था?
इस पर उन्होंने कहा, हां- हम दिन में शवों को दफनाते थे. लोग देखते थे. वे हमें जहां भी शव दिखाते थे, हम वहीं दफनाते थे.
क्या वे आपको हमेशा काम के लिए बुलाते थे, या सिर्फ शव निपटाने के लिए?
इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, 'वे हमेशा फेस-टु-फेस बात करते थे. अगर मैं घर पर होता तो घर आकर इस बारे में बताते था, अगर काम पर होता तो बताते थे. लेकिन खास तौर पर शव के बारे में कभी कॉल नहीं करते थे.'
सौजन्या की मां का कहना है कि उसकी हत्या की रात आपको फोन आया था.
इस पर सफाई कर्मचारी ने कहा, हां- मुझे फोन आया था कि मैं कहां हूं. मैंने कहा कि मैं अपने गांव में छुट्टी पर हूं. उन्होंने मुझ पर गुस्सा किया कि मैं छुट्टी पर क्यों हूं. मैं अगले दिन लौटा और उस लड़की का शव देखा जिसकी हत्या हुई थी.
अंत में उन्होंने कहा कि मुझे यहां आए हुए ढाई महीने हो गए हैं. मैं अपनी पत्नी और बच्चों से मिलना चाहता हूं. मैं चाहता हूं कि ये सब जल्दी ही खत्म हो जाए.
सगाय राज