Panchayat Aaj Tak Live: इतिहासकारों ने बताया कैसी होगी भविष्य की अयोध्या, त्रेता युग में कोई नहीं था दुखी

अयोध्या में राम की पैड़ी पर रविवार को Panchayat Aaj Tak कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें अयोध्या के इतिहास और इसके महत्व पर इतिहासकार पूर्व आईपीएस किशोर कुणाल और साहित्यकार यतींद्र मिश्रा ने अपने विचार रखे.

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Kishore kunal and Yatindra mishra Kishore kunal and Yatindra mishra

aajtak.in

  • अयोध्या,
  • 31 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 9:22 PM IST
  • त्रेता युग की अयोध्या में कोई भी दुखी नहीं था
  • हर आदमी पढ़ा लिखा, सुखी और सम्पन्न था

अयोध्या में राम की पैड़ी पर रविवार को Panchayat Aaj Tak कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें अयोध्या (Ayodhya) के इतिहास और इसके महत्व पर इतिहासकार पूर्व आईपीएस किशोर कुणाल और साहित्यकार यतींद्र मिश्रा ने अपने विचार रखे. कार्यक्रम 'अयोध्या: कल, आज और कल' में अयोध्या और इसके इतिहास पर बात की गई.

आदि पुरी है अयोध्या

अयोध्या पर गहन अध्ययन करने वाले किशोर कुणाल ने कहा कि अयोध्या आदि नगरी है. आदि काव्य में इसका पूर्ण विवरण दिया हुआ है. रामायण को वाल्मीकि ने लिखा जिससे सभी राम कथाएं बनी. इसी में लिखा है कि अयोध्या मनु द्वारा निर्मित नगरी है, मनु आदि पुरुष थे इसीलिए अयोध्या भी आदि नगरी है.

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कार्यक्रम 'अयोध्या: कल, आज और कल' में साहित्यकार यतींद्र मिश्रा का कहना है कि अयोध्या की एक प्रचीन वैश्विक पहचान है. अयोध्या के लिए 'सत्य' शब्द का इस्तमाल किया जाता है और राम को 'सत्य संध' कहा जाता है. अयोध्या को अपराजिता कहा जाता है जिसे कभी जीता नहीं जा सकता. स्कंध पुराण में कहा गया है कि अयोध्या विष्णु के चक्र पर स्थापित है.

अयोध्या में कोई भी दुखी नहीं था

इतिहासकार किशोर कुणाल का कहना है कि इतिहास में ये वर्णित किया गया है कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम के समय अयोध्या बहुत विस्तृत थी. वे बताते हैं कि यहां करीब 170 तरह के पेड़ पौधे हुआ करते थे. त्रेता युग की अयोध्या में कोई भी दुखी नहीं था, हर आदमी पढ़ा लिखा हुआ करता था, सुखी और सम्पन्न था. इसके अलावा हर व्यक्ति दूसरों की सहायता करने की स्थिति में था. ऐसा हमारे शास्त्रों में लिखा हुआ है.

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यतींद्र मिश्रा का कहना है कि त्रेता युग से अब तक अयोध्या कई बार बदली और परिवर्तित हुई है. इतिहास में अयोध्या की पौराणिकता का पता चलता है. अयोध्या की प्राचीनता भंग नहीं हुई है, वह अपने अवशेष में ही जीवित रही. कोई भी परंपरा किसी भी व्यक्ति की हो, विचार की हो या शहर की हो वो पुनर्जीवित होती रहती है.

क्या अयोध्या को उसका स्थान मिला ?

इतिहासकार किशोर कुणाल का कहना है कि आस्था की इतनी पवित्र नगरी को वो स्थान नहीं मिला जो मिलना चाहिए था. ऐसा इसलिए, क्योंकि पहले यहां मुगलों का शासन रहा फिर अंग्रेज़ों का राज रहा, इसलिए यहां धर्म के नाम पर कोई विकास नहीं हुआ. इसी वजह से अयोध्या को वो सम्मान नहीं मिल पाया जो मुसलिम समाज के लिए मक्का का है और ईसाइयों के लिए वेटिकन सिटी का है. हालांकि पूरी दुनिया अब अयोध्या के महत्व को समझ चुकी है. 

वहीं यतींद्र मिश्रा ने कहा कि हर अयोध्यावासी और हर आस्थावान व्यक्ति को यह पता है कि अयोध्या में राम जी जन्मे, ये राम की नगरी है. शास्त्रों में लिखा है, इस बात के साक्ष्य भी हैं. राम भक्त अपनी भक्ति में लीन हैं, लोगों को अपनी आस्था पर यकीन है. अयोध्या में वैरागी बसते हैं. वैरागी का मतलब है कि वो हानि-लाभ, दुख-सुख से ऊपर उठ चुका है. उससे क्या फर्क पड़ता है कि दुनिया ने इसे क्या स्थान दिया है क्या नहीं. 

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कैसी होगी भविष्य की अयोध्या ?

इस बारे में किशोर कुणाल ने कहा कि भगवान श्रीराम का चरित्र सब जगह छाएगा और इस मंदिर से जो संदेश जाएगा, वो भगवान राम को अपनाने का संदेश होगा. वहीं, यतिंद्र मिश्रा ने कहा कि अयोध्या एक प्रतीक के रूप में, एक समावेशी के रूप में, एक मर्यादा के रूप में जाना जाए. एक ऐसा शहर बलिदान देना भी जानता है, जो सजा देना भी जानता है, एक ऐसा शहर जो किसी के आगे भी दबता नहीं, लेकिन अपनी विनम्रता में झुका रहता है. राम चरित मानस की अयोध्या जानी जाए, ये मैं चाहता हूं.
 

 

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