9 महीने पहले हुई थी गिरफ्तारी, एल्गार परिषद केस में क्या थे स्टेन स्वामी पर आरोप, जानें जांच से जुड़ी हर बात

ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट (Human Rights Activist) फादर स्टेन स्वामी (Father Stan Swamy) का सोमवार को निधन हो गया. स्टेन स्वामी जनवरी 2018 में भीमा कोरेगांव से जुड़े एल्गार परिषद मामले में आरोपी थे और उन्हें पिछले साल अक्टूबर में गिरफ्तार किया गया था.

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फादर स्टेन स्वामी (फाइल फोटो) फादर स्टेन स्वामी (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 06 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 11:39 AM IST
  • सोमवार दोपहर 1.30 बजे ली आखिरी सांस
  • काफी दिनों से खराब चल रही थी उनकी तबीयत
  • हाईकोर्ट में जमानत के लिए याचिका भी लगाई थी

ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट (Human Rights Activist) फादर स्टेन स्वामी (Father Stan Swamy) का सोमवार को निधन हो गया. उनके वकील मिहिर देसाई ने बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) में उनके निधन की जानकारी दी. स्टेन स्वामी जनवरी 2018 में भीमा कोरेगांव से जुड़े एल्गार परिषद मामले में आरोपी थे और उन्हें पिछले साल अक्टूबर में गिरफ्तार किया गया था. 

पिछले काफी वक्त से उनकी तबीयत खराब चल रही थी. उन्होंने हाईकोर्ट में इलाज के लिए मेडिकल बेल (Medical Bail) के लिए याचिका दाखिल की थी. इस याचिका पर 6 जुलाई यानी आज सुनवाई होनी थी, लेकिन उससे पहले ही उनकी मौत हो गई. इस पूरे मामले में अब तक क्या-क्या हुआ? स्टेन स्वामी पर क्या आरोप था? उनकी मौत को लेकर NIA पर आरोप क्यों लग रहे हैं? आइए जानते हैं...

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कौन थे स्टेन स्वामी?

स्टेन स्वामी का जन्म 26 अप्रैल 1937 को तमिलनाडु में हुआ था. उनके पिता किसान थे और मां होममेकर थीं. सोशलॉजी (Sociology) में एमए करने के बाद उन्होंने बेंगलुरु स्थित इंडियन सोशल इंस्टीट्यूट में काम किया. इसके बाद झारखंड आ गए और यहां के आदिवासियों और वंचितों के लिए काम करते रहे. शुरुआती दिनों में पादरी का काम किया और फिर आदिवासियों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने लगे. अक्टूबर 2020 में NIA ने भीमा कोरेगांव से जुड़े एल्गार परिषद केस में उन्हें गिरफ्तार कर लिया. 5 जुलाई 2021 को उनकी मौत हो गई. 

आखिर क्या था पूरा मामला?

- 1 जनवरी 2018 को भीमा कोरेगांव में हिंसा भड़की. 8 जनवरी 2018 को पुणे के विश्रामबाग थाने में FIR दर्ज हुई. जांच में सामने आया कि 31 दिसंबर 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में एक कार्यक्रम का आयोजन किया था. इस कार्यक्रम को एल्गार परिषद (Elgar Parishad) ने आयोजित किया था. इसी कार्यक्रम में कथित भड़काऊ भाषण दिए गए थे, जिस वजह से हिंसा भड़क उठी. 

- जांच में सामने आया कि एल्गार परिषद से जुड़े लोगों के संबंध प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) से हैं. फादर स्टेन स्वामी एल्गार परिषद से जुड़े हुए थे और जो कार्यक्रम हुआ था, उसमें कथित तौर पर भड़काने का आरोप भी स्टेन स्वामी पर लगा था.

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स्टेन स्वामी पर क्या थे आरोप?

- 24 जनवरी 2020 को भीमा कोरेगांव हिंसा (Bhima Koregaon Case) की जांच नेशनल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी (NIA) को सौंप दी गई. स्टेन स्वामी के ऊपर सीपीआई (माओवादी) का सदस्य होने के आरोप लगे. 8 अक्टूबर 2020 को NIA ने उन्हें रांची स्थित उनके घर से गिरफ्तार कर लिया.

- अगले दिन यानी 9 अक्टूबर 2020 को उन्हें मुंबई स्थित NIA की स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया और एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट (Supplementary Chargesheet) फाइल की गई. इसमें उनके ऊपर IPC की धारा 120(B), 121, 121(A), 124(A) और 34 लगाई गई. साथ ही UAPA की धारा 13, 16, 18, 20, 38 और 39 लगाई गई. कोर्ट ने स्वामी को मुंबई के तलोजा में सेंट्रल जेल (Central Jail) भेज दिया.

- एल्गार परिषद से जुड़े मामले में स्टेन स्वामी के अलावा 15 और लोगों को गिरफ्तार किया गया है. उनके वकील मिहिर देसाई का कहना है कि स्टेन स्वामी संभवतः देश के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति हैं, जिन पर आतंकवाद का आरोप लगाया गया है.

आगे क्या हुआ?

- जेल में रहते स्टेन स्वामी की तबीयत बिगड़ती गई. उन्होंने खराब तबीयत का हवाला देते हुए NIA कोर्ट में जमानत याचिका (Medical Bail) दाखिल की, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. इसके बाद 26 अप्रैल को स्वामी ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया और वहां जमानत के लिए याचिका लगाई.

- हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से स्टेन स्वामी की मेडिकल रिपोर्ट (Medical Report) पेश करने को कहा, जिसके बाद उन्हें सरकार ने जेजे अस्पताल में भर्ती कराया. रिपोर्ट में उन्हें कई गंभीर बीमारियां होने की बात सामने आई. 

- 29 मई को हाईकोर्ट ने स्वामी को अच्छे प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराने का आदेश दिया. उन्हें 29 मई को मुंबई के होली फैमिली अस्पताल (Holy Family Hospital) में भर्ती कराया गया. 

- यहां उनकी कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आई. उनकी हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी. 4 जुलाई की सुबह उन्हें कार्डिएक अरेस्ट (Cardiac Arrest) आया, जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर (Ventilator) पर रखा गया. अस्पताल के मुताबिक, 5 जुलाई की दोपहर 1.30 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली.

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आज ही होनी थी जमानत याचिका पर सुनवाई

- पिछले शुक्रवार यानी 2 जुलाई को स्वामी ने अपने वकील मिहिर देसाई के जरिए एक नई याचिका दाखिल की. इसमें UAPA की धारा 45(D) को चुनौती दी गई. उन्होंने याचिका में कहा कि ये धारा आरोपी को जमानत मिलने से रोकती है, जो जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हनन है. हाईकोर्ट में पहले से ही उनकी जमानत याचिका थी.

- इन दोनों याचिकाओं पर पहले 2 जुलाई को ही सुनवाई होनी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने समय की कमी बताते हुए याचिकाओं पर सुनवाई 6 जुलाई तक के लिए टाल दी. इन दोनों पर आज ही सुनवाई होनी थी, लेकिन उससे पहले ही स्टेन स्वामी का निधन हो गया.

NIA पर क्यों लग रहे हैं आरोप?

- स्वामी के वकील मिहिर देसाई ने NIA पर उनके इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है. उन्होंने आरोप लगाया कि NIA ने वक्त रहते स्वामी को इलाज मुहैया नहीं करवाया, जिस वजह से उनकी मौत हो गई.

- वकील ने दावा किया है कि उन्हें होली फैमिली अस्पताल में लाने से 10 दिन पहले सरकारी जेजे अस्पताल ले जाया गया था, जहां उनका कोविड टेस्ट नहीं किया गया था. लेकिन जब उन्हें प्राइवेट अस्पताल लाया गया तो उनकी कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आई. 

- देसाई का कहना है कि NIA ने एक दिन के लिए स्वामी की हिरासत की मांग नहीं की, लेकिन उनकी जमानत याचिका का विरोध करती रही. उन्होंने कहा कि क्योंकि उनकी मौत हिरासत के दौरान हुई है इसलिए यूएन ह्यूमन राइट्स कमीशन (UNHRC) की गाइडलाइंस के अनुसार उनका पोस्टमार्टम किया जाए. इसके अलावा उन्होंने इसकी न्यायिक जांच (Judicial Inquiry) की भी मांग की है.

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