दिल्लीः होलिका दहन पर किसानों ने कृषि कानूनों की प्रतियां जलाईं, आगे का प्लान भी बताया

नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन को चार महीने से ज्यादा बीत चुके हैं. किसान दिल्ली बॉर्डर पर डटे हुए हैं. उनकी मांग है कि सरकार तीनों कानूनों को रद्द करे और एमएसपी पर कानून बनाए.

Advertisement
होलिका दहन पर किसानों ने कृषि कानूनों की प्रतियां जलाईं होलिका दहन पर किसानों ने कृषि कानूनों की प्रतियां जलाईं

अशोक सिंघल

  • नई दिल्ली,
  • 28 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 12:44 AM IST
  • किसानों के प्रदर्शन को चार महीने से ज्यादा बीत चुके हैं
  • 5 अप्रैल को देशभर में FCI दफ्तरों का घेराव होगा

दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों ने रविवार को होलिका दहन के मौके पर कृषि कानूनों की प्रतियां जलाईं. संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि दिल्ली बॉर्डर पर किसानों ने तीनों कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर होलिका दहन मनाया. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि वो तब तक अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे, जब तक सरकार तीनों कृषि कानूनों को रद्द नहीं कर देती और मिनिमम सपोर्ट प्राइस यानी MSP की गारंटी का कानून नहीं बना देती. इससे पहले लोहड़ी का त्योहार भी किसानों ने इसी तरह मनाया था. उस समय भी किसानों ने कृषि कानूनों की प्रतियां जलाई थीं.

Advertisement
किसान कानून रद्द करने की मांग पर अड़े हैं.

आंदोलन में आगे क्या होगा? 
किसान मोर्चा ने किसान आंदोलन के आगे के प्लान के बारे में भी जानकारी दी. मोर्चा ने बताया कि अगले महीने 5 अप्रैल को देशभर में "FCI बचाओ दिवस" मनाया जाएगा. इस दिन देशभर के फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) के दफ्तरों का सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक घेराव किया जाएगा.

किसान मोर्चा ने बयान जारी कर कहा "सरकार ने MSP और PDS सिस्टम को खत्म करने के लिए अप्रत्यक्ष रूप से कई बार कोशिश की. पिछले कई सालों से FCI के बजट में कटौती की जा रही है. हाल ही में FCI ने फसलों की खरीद प्रणाली के नियमों में भी बदलाव किए हैं. इसलिए 5 अप्रैल को FCI बचाओ दिवस मनाया जाएगा. इसके तहत देशभर के FCI कार्यालयों को घेराव किया जाएगा." मोर्चा ने इसमें आम लोगों से भी जुड़ने की अपील की है. 

Advertisement

हरियाणा के वसूली कानून का भी विरोध
हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने हाल ही में प्रदर्शन के दौरान सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से वसूली करने का बिल विधानसभा में पास किया है. इसके तहत विरोध प्रदर्शन के दौरान अगर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जाता है, तो उसका पैसा प्रदर्शनकारियों से वसूला जाएगा. संयुक्त किसान मोर्चा ने इस बिल की निंदा की है. संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि कानून बनने के बाद इसका इस्तेमाल किसान आंदोलन में शामिल किसानों के खिलाफ किया जाना तय है. 

पिछले 4 महीने से चल रहा है किसान आंदोलन
पिछले साल सितंबर में केंद्र सरकार ने खेती से जुड़े तीन कानून लागू किए थे. इन्हीं तीन कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं. किसान और सरकार के बीच 11 बार बातचीत भी हो चुकी है, लेकिन कोई सहमति नहीं बनी. किसान चाहते हैं कि सरकार तीनों कानूनों को रद्द करे और MSP पर गारंटी का कानून लेकर आए. लेकिन सरकार का कहना है कि वो कानूनों को वापस नहीं ले सकती. अगर किसान चाहते हैं, तो उनके हिसाब से इसमें संशोधन किए जा सकते हैं.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement