दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों ने रविवार को होलिका दहन के मौके पर कृषि कानूनों की प्रतियां जलाईं. संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि दिल्ली बॉर्डर पर किसानों ने तीनों कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर होलिका दहन मनाया. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि वो तब तक अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे, जब तक सरकार तीनों कृषि कानूनों को रद्द नहीं कर देती और मिनिमम सपोर्ट प्राइस यानी MSP की गारंटी का कानून नहीं बना देती. इससे पहले लोहड़ी का त्योहार भी किसानों ने इसी तरह मनाया था. उस समय भी किसानों ने कृषि कानूनों की प्रतियां जलाई थीं.
आंदोलन में आगे क्या होगा?
किसान मोर्चा ने किसान आंदोलन के आगे के प्लान के बारे में भी जानकारी दी. मोर्चा ने बताया कि अगले महीने 5 अप्रैल को देशभर में "FCI बचाओ दिवस" मनाया जाएगा. इस दिन देशभर के फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) के दफ्तरों का सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक घेराव किया जाएगा.
किसान मोर्चा ने बयान जारी कर कहा "सरकार ने MSP और PDS सिस्टम को खत्म करने के लिए अप्रत्यक्ष रूप से कई बार कोशिश की. पिछले कई सालों से FCI के बजट में कटौती की जा रही है. हाल ही में FCI ने फसलों की खरीद प्रणाली के नियमों में भी बदलाव किए हैं. इसलिए 5 अप्रैल को FCI बचाओ दिवस मनाया जाएगा. इसके तहत देशभर के FCI कार्यालयों को घेराव किया जाएगा." मोर्चा ने इसमें आम लोगों से भी जुड़ने की अपील की है.
हरियाणा के वसूली कानून का भी विरोध
हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने हाल ही में प्रदर्शन के दौरान सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से वसूली करने का बिल विधानसभा में पास किया है. इसके तहत विरोध प्रदर्शन के दौरान अगर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जाता है, तो उसका पैसा प्रदर्शनकारियों से वसूला जाएगा. संयुक्त किसान मोर्चा ने इस बिल की निंदा की है. संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि कानून बनने के बाद इसका इस्तेमाल किसान आंदोलन में शामिल किसानों के खिलाफ किया जाना तय है.
पिछले 4 महीने से चल रहा है किसान आंदोलन
पिछले साल सितंबर में केंद्र सरकार ने खेती से जुड़े तीन कानून लागू किए थे. इन्हीं तीन कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं. किसान और सरकार के बीच 11 बार बातचीत भी हो चुकी है, लेकिन कोई सहमति नहीं बनी. किसान चाहते हैं कि सरकार तीनों कानूनों को रद्द करे और MSP पर गारंटी का कानून लेकर आए. लेकिन सरकार का कहना है कि वो कानूनों को वापस नहीं ले सकती. अगर किसान चाहते हैं, तो उनके हिसाब से इसमें संशोधन किए जा सकते हैं.
अशोक सिंघल