योगेंद्र यादव ने कहा कि 26 जनवरी को देश जो ऐतिहासिक गणतंत्र परेड देखने वाला है, उसका एक ट्रेलर 7 जनवरी को दिखाई देगा. कल से दो हफ्ते के लिए पूरे देश में देश जागरण का अभियान चलेगा. उन्होंने कहा कि देश के कोने-कोने में प्रदर्शन शुरू हो चुके हैं, इनको गहरा किया जाएगा ताकि इस झूठ का पर्दाफाश किया जा सके कि ये आंदोलन सिर्फ पंजाब, हरियाणा का है.
संयुक्त किसान मोर्चा की प्रेस कॉन्फ्रेंस में योगेंद्र यादव ने कहा कि 7 जनवरी को सुबह 11 बजे एक्सप्रेस-वे पर किसान चार तरफ से ट्रैक्टर मार्च करेंगे. कुंडली बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर से पल्लवल की तरफ, रेवासन से पल्लवल की तरफ ट्रैक्टर मार्च होगा.
आंदोलनकारी किसान 7 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे. ट्रैक्टर मार्च सिंघु से टिकरी, टिकरी से शाहजहांपुर, गाजीपुर से पलवल में होगा.
सिंघु बॉर्डर पर आज शाम 5.45 बजे संयुक्त किसान मोर्चा की प्रेस कॉन्फ्रेंस होनी है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर किसान आंदोलन को लेकर केंद्र सरकार को घेरा है. राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा कि मोदी सरकार के घमंड के कारण 60 लोगों की जान चली गई है. सरकार उनके आंसू पोंछने की बजाय किसानों पर आंसू गैस के गोले दाग रही है. सरकार सिर्फ ऐसा अपने कारोबारी दोस्तों के हित के लिए कर रही है, तुरंत ये कानून वापस होने चाहिए.
कृषि कानून के मसले पर बीजेपी सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त का कहना है कि देश में कई राज्यों में कानून बनने से पहले ही कांट्रेक्ट फार्मिंग होती रही है. चिंता इस बात की है कि अगर किसान के मन में इस आंदोलन से शंका पैदा होगी तो काफी मजदूरों को भी काम नहीं मिलेगा. ऐसे में किसान भाइयों से अपील है कि आंदोलन बन्द करें. बीजेपी सांसद ने कहा कि संसद अगर कोई कानून बनाए और जमावड़ा बना कर उसे वापस लेने का दवाब बनाया जाए तो ये संसदीय लोकतंत्र में संसद का अपमान है.
किसान आंदोलन के बीच रिलायंस द्वारा दायर की गई याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने केंद्र और पंजाब सरकार को नोटिस दिया है. दोनों सरकारों को आठ जनवरी तक अदालत में जवाब देना होगा. किसान आंदोलन के दौरान रिलायंस के टावरों को पहुंचाए गए नुकसान के बाद रिलायंस ने सुरक्षा के लिए अदालत का रुख किया था.
अब किसानों और सरकार के बीच 8 जनवरी को बैठक होनी है. तबतक आंदोलन पहले की तरह चलता रहेगा. किसानों ने पहले ही 6 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निकालने का ऐलान किया है, इसके अलावा 26 जनवरी तक अलग-अलग तरीकों से आंदोलन को हवा दी जाएगी.
सोमवार को किसानों और सरकार के बीच हुई बातचीत में कोई नतीजा नहीं निकला. किसानों ने बैठक में एक बार फिर कानूनों को वापसी लेने की मांग की, जिसके बाद आगे कोई चर्चा नहीं हो सकी. हालांकि, सरकार ने किसानों ने एमएसपी पर मंथन करने को कहा, लेकिन बात नहीं बन सकी.