पीएम मोदी-कृषि मंत्री को किसानों का खुला खत, गुमराह करने के आरोपों पर जताई नाराजगी

किसानों ने विपक्ष के गुमराह करने के आरोपों को लेकर नाराजगी जताई है. साथ ही वे कृषि कानूनों की वापसी पर अड़े हैं. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समित की ओर से लिखा गया ये खत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आरोपों और कृषि मंत्री की चिट्ठी के जवाब में है.  

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किसानों का आंदोलन है जारी (फोटो- PTI) किसानों का आंदोलन है जारी (फोटो- PTI)

राम किंकर सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 20 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 1:12 AM IST
  • किसानों का पीएम मोदी और कृषि मंत्री को खत
  • गुमराह करने के आरोपों पर नाराज हैं किसान
  • कृषि कानूनों की वापसी की मांग पर अड़े किसान

कृषि कानूनों के विरोध के बीच किसानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह को खुला खत लिखा है. किसानों ने विपक्ष के गुमराह करने के आरोपों को लेकर नाराजगी जताई है. साथ ही वे कृषि कानूनों की वापसी पर अड़े हैं. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की ओर से लिखा गया ये खत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आरोपों और कृषि मंत्री की चिट्ठी के जवाब में है.  

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प्रधानमंत्री को संबोधित करते हुए चिट्ठी में लिखा गया कि बड़े खेद के साथ आपसे कहना पड़ रहा है कि किसानों की मांगों को हल करने का दावा करते-करते, जो हमला दो दिनों से आपने किसानों की मांगों व आंदोलन पर करना शुरू कर दिया है वह दिखाता है कि आपको किसानों से कोई सहानुभूति नहीं है. आप उनकी समस्याओं को हल करने का इरादा शायद बदल चुके हैं. आपके द्वारा कही गईं सभी बातें तथ्यहीन हैं. 
 
किसानों ने कहा कि उससे भी ज्यादा गम्भीर बात यह है कि जो बातें आपने कही हैं वह देश व समाज में किसानों की जायज मांगों, जो सिलसिलेवार ढंग से पिछले 6 महीनों से आपके समक्ष लिखित रूप से रखी जाती रही हैं, देश भर में किये जा रहे शांतिपूर्वक आंदोलन के प्रति अविश्वास की स्थिति पैदा कर सकती हैं. इसी कारण से हम बाध्य हैं कि आपको इस खुले पत्र के द्वारा अपनी प्रतिक्रिया भेजें ताकि आप इस पर बिना किसी पूर्वाग्रह के गौर कर सकें.

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किसान संगठनों ने कहा कि आपने मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में आयोजित किसानों के सम्मेलन में जोर देकर कहा कि किसानों को विपक्षी दलों ने गुमराह कर रखा है, वे कानूनों के प्रति गलतफहमी फैला रहे हैं, इन कानूनों को लम्बे अरसे से विभिन्न समितियों में विचार करने के बाद और सभी दलों द्वारा इन परिवर्तनों के पक्ष मे राय रखे जाने के बाद ही अमल किया गया है. जो कुछ विशिष्ठि समस्याएं इन कानूनों में थीं, उन्हें आपकी सरकार ने वार्ता में हल कर दिया है और यह आंदोलन असल में विपक्षी दलों द्वारा संगठित है. आपकी ये गलत धारणाएं और बयान गलत जानकारियों से प्रेरित हैं और आपको सच पर गौर करना चाहिये.

वहीं, कृषि मंत्री को संबोधित करते हुए किसानों ने कहा कि देश के कृषि मंत्री होने के नाते लोगों को आपसे उम्मीद यह थी कि 24 दिनों से चल रहे अनिश्चितकालीन आन्दोलन में शहीद हुए 32 किसानों को कम से कम आप श्रद्धांजलि देंगे, लेकिन आपने संवेदनहीनता की पराकाष्ठा दिखाते हुए उनका जिक्र करना भी आवश्यक नहीं समझा. अतः हमारा आपसे पुनः आग्रह है कि आप इन किसान विरोधी कानूनों को तुरंत वापस लें और जिन सुधारों की मांग किसान करते रहे हैं उन पर अमल करें.

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