'भगवान ने उसे दूसरा जीवन दिया है', बोले सुरंग से निकले असम के मजदूर के परिजन

करीब 40 साल के रामप्रसाद नारजारी असम के कोकराझार जिले के रामफलबिल गांव के रहने वाले हैं. वह असम के बोडो समुदाय से हैं. पड़ोसी से नौकरी के बारे में पता चलने पर वह इसी साल 21 मई को उत्तराखंड गए थे. नारजरी उत्तराखंड में करीब 18 हजार प्रति माह कमाते हैं.

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सुरंग से सभी 41 मजदूरों को मंगलवार देर शाम बाहर निकाल लिया गया था (फाइल फोटो) सुरंग से सभी 41 मजदूरों को मंगलवार देर शाम बाहर निकाल लिया गया था (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • गुवाहाटी,
  • 29 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 4:34 PM IST

"कल रात 8.10 बजे हमें पता चला कि वे सभी एक-एक करके बाहर आ गए, मैंने देखा कि सबसे पहले बाहर आने वाला मेरा बेटा था." उत्तराखंड में सुरंग में फंसे 41 मजदूरों में से एक रामप्रसाद नारजारी के पिता रूपेन नारजारी ने असम के कोकराझार जिले में राहत की सांस ली है. उनकी खुशी का ठिकाना नहीं है. उन्होंने अपनी खुशी साझा करते हुए कहा, “उत्तराखंड के राहतकर्मियों ने मेरे बेटे को सुरक्षित बाहर निकाला और उसे माला पहनाकर स्वागत भी किया. मैं तब बहुत खुश था.”

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करीब 40 साल के रामप्रसाद नारजारी असम के कोकराझार जिले के रामफलबिल गांव के रहने वाले हैं. वह असम के बोडो समुदाय से हैं. पड़ोसी से नौकरी के बारे में पता चलने पर वह इसी साल 21 मई को उत्तराखंड गए थे. नारजरी उत्तराखंड में करीब 18 हजार प्रति माह कमाते हैं.

'वॉइस मैसेज के जरिए सुनते थे बेटे की आवाज'

पीड़ित के पिता रूपेन नारजारी ने आजतक/Indiatoday.in को बताया, “मेरा बेटा इतने दिनों तक सुरंग में फंसा रहा, लेकिन जब वह फंसा हुआ था तो हम भाग्यशाली थे कि हमें रिकॉर्ड किए गए वॉइस मैसेज के माध्यम से उसकी आवाज सुनने को मिली. उन्होंने हमें बताया कि वह अंदर सुरक्षित हैं और हम परेशान न हों. उत्तराखंड के कर्मचारी इतने दयालु थे कि उन्होंने हमारे बेटे की आवाज सुनने में हमारी मदद की, जिससे हमें उम्मीद और बड़ी राहत मिली. 

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रूपेन आगे कहते हैं, "मैंने हमेशा भगवान से न केवल अपने बेटे के लिए बल्कि उन सभी लोगों के लिए प्रार्थना की जो अंदर फंसे हुए थे. हमें सरकार पर भरोसा था क्योंकि वे रेस्क्यू अभियान के हर चरण में हमें आश्वासन दे रहे थे."

अपने पति को बचाए जाने पर अपनी खुशी साझा करते हुए, रामप्रसाद की पत्नी सुमित्रा नारजरी ने बताया, “जब मेरे पति सुरक्षित बाहर आए तो मुझे बहुत खुशी हुई. हम अब बहुत राहत में हैं.”

पीड़ित के छोटे भाई शान नारजारी ने कहा, "भगवान ने उसे दूसरा जीवन दिया है."   जिन दिनों में वह अंदर फंसा हुआ था, हम शायद ही कभी कुछ खा पाते थे. हम हमेशा तनाव में रहते थे, हम हर पल भगवान से प्रार्थना करते थे कि वे सभी सुरक्षित बाहर आ जाएं.''

सभी मजदूरों को एम्स ले जाया गया

बता दें कि उत्तरकाशी में 17 दिन बाद मंगलवार को आखिरकार जिंदगी की जीत हुई. हौसलों के आगे पहाड़ को भी हारना पड़ा. पहाड़ चीरकर सभी 41 मजदूरों को निकाल लिया गया. अब इन 41 मजदूरों को उत्तरकाशी से चिनूक हेलिकॉप्टर के जरिए ऋषिकेश एम्स ले जाया गया है. यहां 48 घंटे तक उन्हें स्पेशल वार्ड में रखा जाएगा. पीएम मोदी ने भी इन मजदूरों से फोन पर हाल-चाल जाना. वहीं उत्तराखंड सरकार की तरफ से सभी मजदूरों को 1-1 लाख की सहायता राशि देने का ऐलान किया गया है.

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(रिपोर्ट: सारस्वत कश्यप)

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