निवेश योजना के जरिए 1100 करोड़ की ठगी, ईडी ने 4 लोगों को किया गिरफ्तार

ईडी ने लोगों की शिकायत और तमिलनाडु पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर डिस्क एसेट्स लीड इंडिया लिमिटेड, चेन्नई और अन्य के खिलाफ पीएमएलए के तहत जांच शुरू की थी.

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ED ने फ्रॉड केस में 4 को गिरफ्तार किया (सांकेतिक-रॉयटर्स) ED ने फ्रॉड केस में 4 को गिरफ्तार किया (सांकेतिक-रॉयटर्स)

मुनीष पांडे

  • नई दिल्ली,
  • 10 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 11:11 PM IST
  • 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजे गए आरोपी
  • डिस्क एसेट्स लीड इंडिया के 3 अफसर शामिल
  • निवेश पर जमीन देने का था वादा, लेकिन नहीं दी

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 1,100 करोड़ रुपये से अधिक की सामूहिक निवेश योजना के जरिए धोखाधड़ी से संबंधित एक मामले में धन शोधन रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत चार लोगों को गिरफ्तार किया है.

डिस्क एसेट्स लीड इंडिया लिमिटेड के सीएमडी एनएम उमाशंकर, डिस्क एसेट्स लीड इंडिया लिमिटेड के निदेशक एन. अरुणकुमार उर्फ एन अरुण और डिस्क एसेट्स लीड इंडिया लिमिटेड के एमडी वी जनारथनन के अलावा डेल मार्केटिंग सोल्यूशन के निदेशक सरवनकुमार को कोर्ट में समक्ष पेश किया गया था, जिसमें सभी को 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

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ईडी के अनुसार, फर्म द्वारा जमा की गई राशि विभिन्न सहायक कंपनियों, रॉयल्टी, दान, भूमि अग्रिम, कमीशन आदि में निवेश के रूप में कई संस्थाओं को दी गई जिसमें उनके तत्काल परिवार के सदस्य, करीबी रिश्तेदार और डिस्क के कर्मचारी (प्रमुख प्रबंधकीय कर्मचारी) शामिल थे.

ईडी ने लोगों की शिकायत और तमिलनाडु पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर डिस्क एसेट्स लीड इंडिया लिमिटेड, चेन्नई और अन्य के खिलाफ पीएमएलए के तहत जांच शुरू की थी.

जमीन देने का वादा

शिकायत के अनुसार, डिस्क एसेट्स लीड इंडिया लिमिटेड, चेन्नई ने कई योजनाओं के तहत धन एकत्र किया, जिसमें कहा गया कि ग्राहक हर महीने एक निश्चित अवधि के लिए एक निश्चित राशि का भुगतान करेंगे, जिसके अंत में उन्हें जमीन देने का वादा किया गया था, लेकिन कंपनी ने धोखाधड़ी की और किसी को कोई जमीन आवंटित नहीं की गई.

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SEBI ने कंपनी के खिलाफ पूछताछ शुरू की थी, जिसमें कहा गया था कि वे सामूहिक निवेश योजना का कारोबार कर रहे हैं जिसके लिए सेबी की अनुमति नहीं ली गई थी.

फिर, कंपनी ने SEBI के प्रावधानों को दरकिनार करने के लिए, डेल मार्केटिंग सोल्यूशन लिमिटेड नाम से एक अन्य कंपनी के जरिए ग्राहकों से धन जमा करना शुरू किया. जांच एजेंसी ने बताया कि कंपनी द्वारा ग्राहकों से एकत्र की गई राशि 1,137 करोड़ रुपये थी, लेकिन निदेशकों द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों और बैंकों के डेटा के बीच बहुत सी विसंगतियां पाई गईं.


 

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