धुआं, स्मॉग और दोहरी नीति... क्या दिल्ली की हवा पर वैश्विक एडवाइजरी डबल स्टैंडर्ड है?

दिल्ली की खराब हवा को लेकर सिंगापुर, ब्रिटेन और कनाडा की ट्रैवल एडवाइजरी ने एक बार फिर वैश्विक दोहरे मापदंड की बहस छेड़ दी है. सवाल यह है कि जब इसी तरह का प्रदूषण अन्य वैश्विक शहरों में फैला, तब उन्हें "खतरनाक" क्यों नहीं बताया गया, जबकि दिल्ली को बार-बार असुरक्षित शहर के रूप में पेश किया जाता है.

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दिल्ली प्रदूषण पर दुनियाभर इतना हंगामा क्यों बरपा है? (Photo- ITG) दिल्ली प्रदूषण पर दुनियाभर इतना हंगामा क्यों बरपा है? (Photo- ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:12 PM IST

दिल्ली की वायु गुणवत्ता संकट को लेकर हाल ही में सिंगापुर, ब्रिटेन और कनाडा द्वारा जारी की गई ट्रैवल एडवाइजरी ने एक गंभीर बहस को जन्म दिया है. इन देशों ने अपने नागरिकों को दिल्ली में "गंभीर" वायु प्रदूषण से सतर्क रहने की सलाह दी. कागज पर यह चेतावनियां स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए थीं, लेकिन व्यवहार में उन्होंने दिल्ली को एक असाधारण रूप से असुरक्षित और टालने योग्य शहर के रूप में पेश किया.

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इसमें कोई संदेह नहीं कि दिल्ली की हवा गंभीर संकट में है. आंकड़े डरावने हैं, स्वास्थ्य पर असर वास्तविक है और नीतिगत असफलताएं भी जगजाहिर हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या वैश्विक एडवाइजरी हर जगह एक जैसे मानकों पर आधारित हैं, या भारत और खासकर दिल्ली के मामले में कठोर नजरिया अपनाया जाता है.

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2023 में न्यूयॉर्क सबसे प्रदूषित बड़े शहरों की लिस्ट में सबसे ऊपर रहा. (Photo- Getty)

जब लंदन, टोरंटो या सिंगापुर में हवा जहरीली होती है, तब भाषा बदल जाती है. 2023 में कनाडा में रिकॉर्ड तोड़ जंगल की आग से टोरंटो और वैंकूवर जैसे शहर "हैजर्डस" AQI में चले गए. न्यूयॉर्क तक धुएं की चादर छा गई, स्कूल बंद हुए, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कनाडा को असुरक्षित यात्रा गंतव्य घोषित नहीं किया गया. इसे अस्थायी जलवायु आपदा बताया गया.

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लंदन में भी रहा 'वेरी हाई' प्रदूषण लेकिन...

इसी तरह, 2017 से 2023 के बीच लंदन में कई बार "हाई" और "वेरी हाई" प्रदूषण अलर्ट जारी हुए, लेकिन विदेशी सरकारों ने यात्रियों को लंदन न जाने की सलाह नहीं दी. सिंगापुर में भी 2015 और 2019 में इंडोनेशियाई जंगलों की आग से प्रदूषण "खतरनाक" स्तर तक पहुंचा, फिर भी वैश्विक छवि पर कोई आंच नहीं आई.

ब्रिटेन के मौसम विभाग ने 2017 में AQI पर गंभीर चेतावनी दी थी. (Photo- AFP)

एडवाइजरी प्रतिष्ठा पर टिप्पणी जैसी!

विशेषज्ञों का मानना है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य संचार तभी प्रभावी होता है जब वह भरोसेमंद और समान हो. जब एक जैसे जोखिमों को अलग-अलग देशों में अलग भाषा में पेश किया जाता है, तो एडवाइजरी स्वास्थ्य चेतावनी से अधिक प्रतिष्ठा पर टिप्पणी बन जाती है.

यह भी पढ़ें: बढ़ते प्रदूषण के बीच भारत यात्रा पर विदेशी सरकारों की चेतावनी, क्या उत्तर भारत में पर्यटन को खतरा?

2019 में सिंगापुर में मरीना बे सैंड्स होटल और रिसॉर्ट धुंध से ढका हुआ था. (Photo0 AFP)

दिल्ली को बना दिया जाता है उदाहरण

दिल्ली की समस्या वास्तविक है और समाधान की मांग करती है, लेकिन असहज सवाल यही है कि अगर टोरंटो, लंदन और सिंगापुर अपवाद हो सकते हैं, तो दिल्ली को पहचान क्यों बना दिया जाता है? यह बहस सिर्फ स्मॉग की नहीं, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य संवाद में निष्पक्षता और विश्वसनीयता की है.

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