नताशा, देवांगना, आसिफ के जमानत के खिलाफ SC पहुंची दिल्ली पुलिस, कड़कड़डूमा कोर्ट में फैसला सुरक्षित

दिल्ली हिंसा केस में आरोपी नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ इकबाल को मिली जमानत के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. जमानत देने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है.

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नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ इकबाल (File Photo) नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ इकबाल (File Photo)

अनीषा माथुर

  • नई दिल्ली,
  • 16 जून 2021,
  • अपडेटेड 5:34 PM IST
  • दिल्ली पुलिस ने SC में दी याचिका
  • जमानत को रद्द करने की मांग

दिल्ली हिंसा केस में आरोपी नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ इकबाल को मिली जमानत के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन के जरिए तीनों आरोपियों को जमानत देने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है.

इधर, कड़कड़डूमा कोर्ट ने तमाम दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा है. इसे शाम तक अपलोड करने का निर्णय लिया गया है. कोर्ट ने कहा कि अभियुक्तों के अधिवक्ता अनुरोध करते हैं कि रिहाई वारंट तिहाड़ अधीक्षक को ईमेल किया जाना चाहिए. 

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इससे पहले दोनों पक्षों की दलील सुनते हुए जज ने कहा कि देवांगना, नताशा और आसिफ की रिहाई की याचिका पर आज आदेश देंगे. जज का कहना था कि हमारे पास आज रिलीज वारंट जारी करने का समय नहीं हो सकता है. जमानतदारों को कागजात पर हस्ताक्षर करने के लिए अदालत में वापस आने की जरूरत नहीं होगी. 

बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने कल हिंसा के मामले में पिंजड़ा तोड़ ग्रुप की सदस्य नताशा नरवाल, देवांगना कालिता और आसिफ इकबाल तन्हा को जमानत दी थी. तीनों को बीते साल फरवरी महीने में दिल्ली में हुई हिंसा के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. बाद में इन लोगों के खिलाफ अनलॉफुल एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) एक्ट (UAPA) भी लगाया गया था.  

अपने जमानत आदेश में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि हम यह कहने के लिए विवश हैं कि ऐसा लगता है कि असंतोष को दबाने की चिंता में मामला हाथ से निकल सकता है. राज्य ने संवैधानिक रूप से मिले विरोध के अधिकार और आतंकवादी गतिविधि के बीच में लाइन को धुंधला कर दिया है. अगर ऐसा धुंधलापन बढ़ता है, तो फिर लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा.

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हाई कोर्ट की जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अनूप जयराम भंभानी की बेंच ने तीनों आरोपियों को जमानत देने से इनकार करने वाले निचली अदालत के आदेश को खारिज कर दिया और उन्हें नियमित जमानत पर स्वीकार करते हुए उनकी अपीलों को मान लिया. हाई कोर्ट ने नरवाल, देवांगना कालिता और तन्हा को अपने पासपोर्ट सरेंडर करने को कहा.

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