अल-फलाह के 200 डॉक्टर-स्टाफ दिल्ली ब्लास्ट में जांच के रडार पर, जम्मू के लॉकर में भी खंगाले जा रहे सबूत

दिल्ली ब्लास्ट के बाद अल-फलाह यूनिवर्सिटी के 200 से ज्यादा डॉक्टर, लेक्चरर और स्टाफ जांच एजेंसियों के रडार पर हैं. यूनिवर्सिटी के हॉस्टल और छात्रों के कमरों की तलाशी ली जा रही है और 1000 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की जा चुकी है. इसके साथ ही एजेंसी ने GMC में डॉक्टरों के लॉकरों की जांच शुरू हो गई है, जहां पहले ही AK-47 बरामद हो चुका है.

Advertisement
जांच एजेंसी के रडार पर अल फलाह यूनिवर्सिटी के डॉक्टर और स्टाफ. (photo: ITG) जांच एजेंसी के रडार पर अल फलाह यूनिवर्सिटी के डॉक्टर और स्टाफ. (photo: ITG)

अरविंद ओझा

  • नई दिल्ली,
  • 20 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:46 PM IST

दिल्ली के लाल किला के पास हुए कार बम धमाके की जांच अब अल-फलाह यूनिवर्सिटी (फरीदाबाद) को पूरी तरह अपने घेरे में ले लिया है. बताया जा रहा है कि अब यूनिवर्सिटी के 200 से ज्यादा डॉक्टर, लेक्चरर और स्टाफ जांच एजेंसियों के रडार पर हैं. उधर, व्हाइट कॉलर आतंकी मॉड्यूल के खुलासे के बाद एजेंसी ने GMC में डॉक्टरों-स्टाफ के लॉकरों की जांच शुरू कर दी है.

Advertisement

सूत्रों के मुताबिक विश्वविद्यालय के 200 से ज्यादा डॉक्टर, लेक्चरर और स्टाफ जांच एजेंसियों के रडार पर हैं. हॉस्टल और बाहर रहने वाले छात्रों के कमरों की तलाशी ली जा रही है. अब तक 1000 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की जा चुकी है.

जांच एजेंसियां ये पता लगा रही हैं कि ब्लास्ट के बाद कितने लोग यूनिवर्सिटी छोड़कर गए और उनकी पहचान क्या है. कई लोगों ने अपने मोबाइल फोन का डेटा डिलीट कर दिया है, जिसकी भी गहन जांच होगी.

विश्वविद्यालय सूत्रों का कहना है कि वे छुट्टी लेकर अपने घर लौट रहे हैं. वहीं, बुधवार को कई कर्मचारी अपना सामान गाड़ियों में भरकर यूनिवर्सिटी गेट से निकलते हुए देखा गया है.

नूंह में 7 अन्य लोगों से पूछताछ

जांच एजेंसियों ने एक 35 वर्षीय महिला को हिरासत में लिया है, जिसने आत्मघाती हमलावर डॉ. उमर उन नबी को नूंह की हिदायत कॉलोनी में कमरा किराए पर दिया था. ये आंगनवाड़ी कार्यकर्ता महिला दिल्ली बम धमाकों के बाद से फरार थी.

Advertisement

घटना के बाद उसका परिवार भी जांच के दायरे में है. सूत्रों ने बताया कि उमर ने नूह में रहते वक्त कई मोबाइल फोन इस्तेमाल किए थे. नूह में 7 अन्य लोगों से भी पूछताछ की जा रही है, ताकि उमर के उनसे संबंध का पता लगाया जा सके.

ब्लास्ट के बाद अल-फलाह अस्पताल में मरीजों की संख्या आधी से भी कम हो गई है. पहले रोजाना 200 के करीब OPD मरीज आते थे, अब 100 से कम आ रहे हैं.

जांच एजेंसियां ये पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या विश्वविद्यालय के अंदर कोई हैंडलर था, क्योंकि उमर को संस्थान में विशेष सुविधा मिलती थी.

छह महीने गायब रहा था उमर

विश्वविद्यालय से एमबीबीएस की पढ़ाई करने के बाद यहां अप्रेंटिसशिप कर रहे दो डॉक्टरों ने बताया कि उमर 2023 में बिना किसी छुट्टी और सूचना के करीब छह महीने तक अस्पताल और विश्वविद्यालय से गायब रहा. अस्पताल सूत्रों ने बताया कि घटना का अजीब पहलू ये है कि वापस आते ही वह सीधे ड्यूटी पर लौट आया और उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई.

शाम या नाइट शिफ्ट करता था उमर

उन्होंने बताया कि उमर बहुत कम क्लास लेता था. वह हफ़्ते में सिर्फ़ एक या दो लेक्चर लेता था और वो भी सिर्फ़ 15-20 मिनट के. फिर वह अपने कमरे में वापस चला जाता था. दूसरे लेक्चरर इसे पसंद नहीं करते थे, क्योंकि वे पूरा वक्त पढ़ाते रहता था.

Advertisement

एक चौंकाने वाले खुलासे में डॉक्टरों ने बताया कि उमर को अस्पताल में हमेशा शाम या रात की शिफ्ट में ही काम दिया जाता था. उसे कभी सुबह की शिफ्ट में काम नहीं दिया गया.

यूनिवर्सिटी में बना अस्थायी कमांड सेंटर

अल फलाह विश्वविद्यालय में इस वक्त कई जांच टीमें काम कर रही हैं. कैंपस के अंदर NIA, दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल, उत्तर प्रदेश ATS, फरीदाबाद क्राइम ब्रांच और जम्मू-कश्मीर पुलिस की टीमें लगातार काम कर रही हैं. मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम भी पहुंची. सभी एजेंसियों ने यूनिवर्सिटी परिसर में ही अस्थायी कमांड सेंटर बना लिया है.

GMC में डॉक्टरों-स्टाफ के लॉकरों की जांच शुरू

उधर, दिल्ली ब्लास्ट और “व्हाइट कॉलर” आतंकी मॉड्यूल के खुलासे के बाद जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग स्थित गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज (GMC) में बुधवार से डॉक्टरों-स्टाफ के लॉकरों की व्यापक जांच शुरू की गई है.

इस महीने की शुरुआत में यहीं डॉ. अदील राथर के लॉकर से AK-47 बरामद हुआ था, जिसके बाद कई डॉक्टरों का आतंकी मॉड्यूल पकड़ा गया और 2900 किलो विस्फोटक बरामद हुआ था.

अनक्लेम्ड लॉकर चिह्नित किए गए हैं और अस्पताल प्रशासन को रिकॉर्ड अपडेट करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि भविष्य में दुरुपयोग न हो. दिल्ली ब्लास्ट की जांच ने अब मेडिकल कॉलेजों और डॉक्टरों के आतंकी कनेक्शन को पूरी तरह बेनकाब कर दिया है. आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे होने की संभावना है.

Advertisement

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement