घने जंगल जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों के ऑपरेशन के दौरान घायल जवानों को तत्काल मेडिकल हेल्प की जरूरत होती है. केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) ने इसी दिशा में अहम कदम उठाया है. अगर फील्ड में ऑपरेशन के दौरान कोई कमांडो घायल होता है तो वहां उसकी मदद के लिए बाइक एम्बुलेंस तैयार रहेंगी. इन्हें 'रक्षिता' नाम दिया गया है. फर्स्ट ऐड देने के साथ घायल जवान को यह जल्दी से जल्दी अस्पताल पहुंचाएंगी.
दरअसल, ऐसे क्षेत्रों में नक्सली अक्सर इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) बिछा कर रखते हैं. चार पहिया वाहनों को ऐसे क्षेत्रों में अधिक खतरा रहता है. इसके अलावा जहां बड़े वाहन नहीं पहुंच सकते, वहां ये बाइक एंबुलेंस आसानी से पहुंच सकती हैं.
इन बाइक एंबुलेंस को सीआरपीएफ ने डिफेंस रिसर्च एंड डेवेलपमेंट (DRDO) की मदद से विकसित किया है. सीआरपीएफ ने ऐसी 21 बाइक एंबुलेंस के साथ शुरुआत की है.
नक्सल प्रभावित इलाकों में आए दिन नक्सली सुरक्षा बलों के वाहनों को आईडी के जरिए निशाना बनाने की कोशिश करते हैं. ऐसे में ऑपरेशन के लिए निकली जवानों की टीमों को यह हिदायत दी जाती है कि वह मुख्य सड़कों का इस्तेमाल ना करें.
घने जंगलों में जवानों को कई कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है. ऐसे में कांबिंग ऑपरेशन के लिए बाइक्स का सहारा लिया जाता है. अगर मुठभेड़ मे कोई जवान घायल होता है तो उसे तत्काल नजदीकी अस्पताल पहुंचाना होता है. लेकिन खराब रास्ते और मुख्य सड़कों पर नक्सलियों के आईईडी के खतरे को देखते हुए बहुत संभल कर धीरे धीरे चलना होता है.
ऐसे में इन जरूरतों को देखते हुए डीआरडीओ के साथ सीआरपीएफ के लिए डिजाइन की गई बाइक एंबुलेंस बहुत कारगर है. घायल जवानों के लिए ये संजीवनी से कम नहीं है. बाइक में ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था के साथ जीपीएस मॉनिटर लगाया गया है. इससे घायल जवान के ब्लड प्रेशर, हार्ट बीट की जानकारी मिलती रहती है.
जम्मू कश्मीर समेत बॉर्डर से लगते इलाकों में, जहां पर इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है, सड़कों की हालत खराब है, वहां भी ऐसी एंबुलेंस बहुत उपयोगी साबित हो सकती हैं.
रक्षिका बाइक एंबुलेंस की खासियत
-350 सीसी की बुलेट पावरफुल है, दुर्गम और खराब रास्तों को आसानी से पार कर सकती है.
-बाइक को मिनी एंबुलेंस का रूप देने में 70 हज़ार रुपये का अतिरिक्त खर्चा आता है. ऐसे में ये एंबुलेंस काफी किफायती है.
-रक्षिता बाइक एंबुलेंस में Causality Evacuation Seat समेत इस तरह का इंतजाम है कि घायल जवान को कम से कम असुविधा हो.
-बाइक एंबुलेंस में Physiological Monitoring Equipment लगाया गया है. इसकी खासियत ये है कि जवान के शरीर मे क्या पैरामीटर है उसकी जानकारी बाइक चलाने वाले को मिलती रहेगी. बाइक के सामने लगी LCD स्क्रीन से चालक को घायल साथी को सभी जानकारी रियल टाइम पर मिलती रहेगी.
जितेंद्र बहादुर सिंह