कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों में एंटीबॉडी मजबूत, इतने महीनों तक रहता है असर

रिसर्च में पाया गया है कि हल्के या मध्यम दर्जे के लक्षण वाले 90 प्रतिशत कोविड-19 मरीजों में बनी एंटीबॉडी महीनों तक वायरस को निष्प्रभावी रखने में मजबूती से काम करती है.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 2:43 PM IST

कोरोना वायरस के लक्षणों वाले ज्यादातर मरीजों के इस रोग से उबरने के साथ उनके शरीर में मजबूत एंटीबॉडी के रूप में एक रक्षा कवच बन जाता है, जो कम से कम 5 महीने तक कायम रहता है. इस बात की जानकारी एक नए अध्ययन में दी गई है. इस अध्ययन के मुताबिक शरीर की इस प्रतिरोधक प्रतिक्रिया से कोरोना वायरस से दोबारा संक्रमित होने का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है.

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जर्नल ऑफ साइंस में छपे एक रिसर्च पेपर के मुताबिक एंटीबॉडी की प्रतिक्रिया का सबंध शरीर द्वारा सार्स-सीओवी-2 वायरस को निष्प्रभावी करने से है, जिससे संक्रमण होता है. न्यूज एजेंटी पीटीआई के मुताबिक अमेरिका स्थित माउंट सिनाई अस्पताल में कार्यरत और रिसर्च पेपर के लेखक फ्लोरियन क्रेम्मर ने कहा, 'कुछ खबरें आई थीं कि वायरस से संक्रमण की प्रतिक्रिया में बनने वाली एंटीबॉडी जल्द समाप्त हो जाती है, लेकिन हमने अपने अध्ययन में इसके ठीक उलट पाया.'

उन्होंने कहा, 'हमने पाया कि हल्के या मध्यम दर्जे के लक्षण वाले 90 प्रतिशत कोविड-19 मरीजों में बनी एंटीबॉडी महीनों तक वायरस को निष्प्रभावी रखने में मजबूती से काम करती है.'

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इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए वैज्ञानिकों ने संक्रमण से ठीक हुए लोगों की इंजाइम लिंक्ड इम्युनोसोब्रेंट एस्से (एलिसा) नामक एंटीबॉडी जांच की गई, जिससे इस बात का पता लगाया जा सके कि कोशिका पर वायरस का आक्रमण होने पर बनने वाले इस प्रोटीन का स्तर क्या है.

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माउंट सिनाई अस्पताल के रिसर्चर्स ने 30,082 नमूनों की जांच करने के बाद पाया कि अधिकतर लोगों में एंटीबॉडी मध्यम से उच्च स्तर पर मौजूद है, जो वायरस को निष्प्रभावी कर सकते हैं. वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि पहली जांच के मुकाबले दूसरी जांच के दौरान एंटीबॉडी के स्तर में हल्की सी कमी आई और तीसरी तथा आखिरी जांच में इसमें और कमी आई. 

इस टेस्टिंग के आधार पर रिसर्चर्स ने कहा कि अनुसंधान के आधार पर कहा जा जा सकता है कि एंटीबॉडी कम से कम पांच महीने तक ठीक हो चुके मरीज के बॉडी में बनी रहती है.

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