छत्तीसगढ़ के कांकेर में धर्मांतरण को लेकर उपजा तनाव अब पूरे बस्तर और छत्तीसगढ़ में फैलता नजर आ रहा है. धार्मिक स्थलों में हुई तोड़फोड़ के बाद गुरुवार को सर्व समाज ने 'बंद' का आह्वान किया, जिसका व्यापक असर देखने को मिला. बाजार पूरी तरह बंद रहे और सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा. स्थानीय लोगों और नेताओं का आरोप है कि दूसरे धार्मिक समूह अब हिंदू परिवारों के 'किचन' तक घुसकर प्रलोभन दे रहे हैं.
धर्मांतरित हो चुके लोगों का पक्ष है कि उन तक कभी सरकारी योजनाएं पहुंची ही नहीं, जिसका फायदा दूसरे समूहों ने उठाया. इस पर बीजेपी नेताओं का कहना है, ''जल जीवन मिशन जैसी योजनाएं नक्सलवाद के कारण बाधित थीं. हालांकि, सरकार ने 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद समाप्ति की डेडलाइन दी है, जिसके बाद विकास की गति तेज होगी.''
सिंधी समाज के परिवार भी धर्मांतरित
उधर, BJP और सर्व समाज के नेताओं ने धर्मांतरण के तरीकों पर गंभीर सवाल उठाए. बीजेपी जिला कोषाध्यक्ष राजा देवलानी ने चौंकाने वाला दावा किया, "यह सोचना गलत है कि धर्मांतरण सिर्फ उन क्षेत्रों में हो रहा है जहां सरकारी योजनाएं नहीं पहुंचीं. कांकेर शहर के हमारे सिंधी समाज के तीन परिवारों को भी प्रलोभन देकर धर्मांतरित कर लिया गया है. ये लोग अब लोगों के घर के किचन तक घुसपैठ कर रहे हैं. कभी स्वास्थ्य लाभ, कभी आर्थिक मदद तो कभी अन्य प्रलोभन देकर सीधे-सीधे मतांतरण का खेल खेला जा रहा है, जिस पर तत्काल रोक लगनी चाहिए."
'संस्कारों को खत्म करने की साजिश'
भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के जिला अध्यक्ष ईश्वर कावड़े ने भी इस मुद्दे पर अपना कड़ा रुख स्पष्ट किया. उन्होंने कहा कि बस्तर और सरगुजा जैसे जनजातीय क्षेत्रों में आजादी के बाद से ही धर्मांतरण का सिलसिला योजनाबद्ध तरीके से चलाया जा रहा है. ईश्वर कावड़े ने जोर देकर कहा कि धर्मांतरण केवल धर्म बदलना नहीं, बल्कि हमारी प्राचीन जनजातीय संस्कृति, परंपराओं और संस्कारों को खत्म करने की साजिश है.
'घर वापसी' जैसे मैकेनिज्म की मांग
उन्होंने अफसोस जताया कि दिवंगत दिलीप सिंह जूदेव ने 'घर वापसी' के जरिए जो मजबूत तंत्र खड़ा किया था, वर्तमान में उसकी कमी महसूस हो रही है. चाहे भाजपा सरकार हो या कांग्रेस, एक ऐसा ठोस मैकेनिज्म होना चाहिए जो धर्मांतरण पर नजर रखे.
'डी-लिस्टिंग' और ठोस कानून जरूरी'
कावड़े ने मांग की है कि शासन प्रशासन 'डी-लिस्टिंग' की प्रक्रिया शुरू करे ताकि यह स्पष्ट हो सके कि कौन ईसाई बन चुका है और कौन जनजातीय परंपराओं का पालन कर रहा है.उन्होंने एक सख्त एंटी-कन्वर्जन लॉ लाने की वकालत की.
भीम आर्मी पर आरोप
पूर्व जिला पंचायत सदस्य हीरा मरकाम ने भीम आर्मी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यह संगठन वोट बैंक की राजनीति के लिए धर्मांतरित लोगों को संरक्षण दे रहा है. उन्होंने इसे एक राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई करार दिया. नेताओं ने स्वीकार किया कि नक्सलवाद के कारण बस्तर के कुछ अंदरूनी इलाकों में जल जीवन मिशन जैसी योजनाएं प्रभावित हुईं, जिसका फायदा मिशनरियों ने उठाया.
सुमी राजाप्पन