'भारत मैं चांद पर पहुंच गया', चंद्रयान-3 ने भेजा संदेश, जानें- अब क्या करेंगे Vikram और Pragyan

ISRO का चंद्रयान-3 मिशन सफल हो गया है. भारत यह सफलता हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन चुका है. वहीं चंद्रयान की सफल लैंडिंग के बाद ISRO ने ट्वीट किया है, जिसके जरिए देश को संदेश भेजा है.

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चंद्रयान-3 चंद्रयान-3

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 8:57 PM IST

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने आज इतिहास रच दिया है. ISRO का चंद्रयान-3 मिशन सफल हो गया है. भारत यह सफलता हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन चुका है. चंद्रयान का लैंडर चंद्रमा के साउथ पोल पर सफलतापूर्वक लैंड हो गया है. वहीं चंद्रयान की सफल लैंडिंग के बाद ISRO ने ट्वीट किया है.  

ISRO की ओर से ट्वीट किया गया, "भारत, मैं अपनी डेस्टिनेशन पर पहुंच गया हूं और आप भी. चंद्रयान-3 मून पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंड हो गया है. बधाई इंडिया" 

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दुनिया में अब से पहले चांद पर सिर्फ तीन देश सफलतापूर्वक उतर पाए थे. अमेरिका, रूस (तब सोवियत संघ) और चीन. अब भारत के चंद्रयान-3 को सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता मिली है, भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है. वहीं भारत दक्षिणी ध्रुव के इलाके में लैंडिंग कराने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है.

ISRO चीफ एस सोमनाथ ने बताया कि दो से चार घंटे में 'विक्रम' लैंडर से रोवर प्रज्ञान बाहर आएगा. यह इस पर निर्भर करता है कि लैंडिंग वाली जगह पर धूल कैसी जमती है. इसके बाद इसरो चार्जेबल बैटरी के जरिए रोवर को जीवित रखने की कोशिश करेगा. यदि यह सफल रहा तो रोवर का अगले 14 दिनों के लिए उपयोग किया जाएगा.  

विक्रम लैंडर पर चार पेलोड्स क्या काम करेंगे? 

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1. रंभा (RAMBHA)... यह चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा. 
2. चास्टे (ChaSTE)... यह चांद की सतह की गर्मी यानी तापमान की जांच करेगा. 
3. इल्सा (ILSA)... यह लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीय गतिविधियों की जांच करेगा. 
4. लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे (LRA) ... यह चांद के डायनेमिक्स को समझने का प्रयास करेगा.  

प्रज्ञान रोवर पर दो पेलोड्स हैं, वो क्या करेंगे?  

1. लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (Laser Induced Breakdown Spectroscope - LIBS). यह चांद की सतह पर मौजूद केमिकल्स यानी रसायनों की मात्रा और गुणवत्ता की स्टडी करेगा. साथ ही खनिजों की खोज करेगा. 
2. अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (Alpha Particle X-Ray Spectrometer - APXS). यह एलिमेंट कंपोजिशन की स्टडी करेगा. जैसे- मैग्नीशियम, अल्यूमिनियम, सिलिकन, पोटैशियम, कैल्सियम, टिन और लोहा. इनकी खोज लैंडिंग साइट के आसपास चांद की सतह पर की जाएगी. 
 

 

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