कुछ ही दिन पहले सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों में कोरोना के इलाज में काम आने वाली रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर काफी चर्चा चल रही थी इसका कारण था कि दूसरी लहर के चरम पर पहुंचते ही देश में रेमडेसिविर की भारी मांग होने लगी थी, जिसके कारण लोगों ने ब्लैकमार्केटिंग करना शुरू कर दिया था. लेकिन अब उस तरह का संकट नहीं रहा. बल्कि सरकार रेमडेसिविर का उत्पादन दस गुना बढ़ाने में सफल रही है.
केंद्र सरकार ने रेमडेसिविर का उत्पादन करने के लिए रेमडेसिविर बनाने वाले प्लांटों की संख्या में काफी वृद्धि की है. जिसके कारण देश में अब रेमडेसिविर का संकट नहीं है. बल्कि मांग से भी अधिक उत्पादन इस समय देश में हो रहा है.
इसे लेकर केन्द्रीय केमिकल और फर्टिलाईजर मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया है कि सरकार ने रेमडेसिविर का उत्पादन 33,000 यूनिट प्रतिदिन से एक ही महीने के अंदर 3,50,000 यूनिट प्रतिदिन पहुंचा दिया है. इसके कारण इस समय देश में रेमडेसिविर की उतनी मांग नहीं है बल्कि उससे भी अधिक रेमडेसिविर का उत्पादन किया जा रहा है.
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केमिकल मंत्री ने आगे बताया कि सरकार ने रेमडेसिविर प्लांटों की संख्या में भी भारी वृद्धि की है. सरकार ने एक ही महीने में रेमडेसिविर प्लांटों की संख्या 20 से 60 पहुंचा दी है.
इसलिए सरकार रेमडेसिविर को केंद्रीय आवंटन से मुक्त करने का निर्णय लिया है. यानी अब राज्यों को रेमडेसिविर के लिए केंद्रीय आवंटन की ओर नहीं देखना पड़ेगा. इसके साथ ही सरकार ने राष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल्स मूल्य निर्धारण एजेंसी (National Pharmaceuticals Pricing Agency) और CDSCO को देश में रेमडेसिविर की उपलब्धता पर ध्यान देने के लिए निर्देश दिया है. इसके साथ ही
केंद्र सरकार ने निर्णय लिया है कि वो पचास लाख रेमडेसिविर का एक स्ट्रेटेजिक स्टॉक भी रखेगी ताकि आपातकाल स्थति में उस स्टॉक का उपयोग किया जा सके.
पॉलोमी साहा