देश में अगले साल प्रस्तावित जनगणना के आंकड़े पहली बार डिजिटल तरीके से जुटाए और इकट्ठा किए जा सकते हैं. केंद्र सरकार के सूत्रों के मुताबिक इसके लिए एक विशेष पोर्टल तैयार किया गया है. इस पोर्टल में पिछली जनगणनाओं के अतिरिक्त जातिवार जनगणना के आंकड़ों के लिए भी प्रावधान किए जा रहे हैं.
सूत्रों के मुताबिक जातिवार जनगणना होने की स्थिति में पहली बार देश में मुसलमानों की भी जातियां गिनी जाएंगी. केंद्र सरकार ने फिलहाल जनगणना के साथ जातिवार जनगणना कराने को लेकर औपचारिक फैसला नहीं किया है. सूत्रों ने इस बात का संकेत दिया है कि कोरोना महामारी और फिर लोकसभा चुनाव के कारण अटकी हुई 2021 की जनगणना 2025 में होगी.
मोदी सरकार जातिवार जनगणना करा सकती है
विपक्ष की ओर से जातिवार जनगणना को राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश को देखते हुए मोदी सरकार जातिवार जनगणना कराने का फैसला ले सकती है. क्योंकि सरकार भी चाहती है कि एक तो इस मुद्दे पर NDA में कोई मतभेद न हो साथ ही सभी धर्मों की आबादी में मौजूद जाति व्यवस्था की जड़ों का भी पता चल सके. फिर अगर आरक्षण सहित किसी भी सुविधा के लिए कोई विशेष योजना चलानी हो तो ट्रिपल टेस्ट का पहला और अहम टेस्ट इसी मुहिम के साथ पूरा हो जाएगा. इससे मुस्लिम, ईसाई, सिख आदि धर्मों में मौजूद जाति व्यवस्था, आबादी, आर्थिक, शैक्षिक और सामाजिक स्थिति का भी पता चल जाएगा.
बीजेपी पर सहयोगियों का भी दबाव
जातिवार जनगणना को लेकर लगातार देश में आवाज उठाई जा रही है. खास कर के विपक्ष के नेता इस मुद्दे को लेकर ज्यादा मुखर नजर आते हैं. इतना ही नहीं एनडीए में शामिल दल लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के चिराग पासवान और अपना दल (सोनेलाल) की प्रमुख अनुप्रिया पटेल भी जातीय जनगणना कराने की बात कह रही हैं. जिस वजह से बीजेपी को विपक्ष के साथ अपने सहयोगियों का भी दबाव जातीय जनगणना को लेकर झेलना पड़ रहा है.
संजय शर्मा