कोरोना संकट और वायु प्रदूषण के बीच कई राज्य सरकारों ने पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं. दिल्ली, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और राजस्थान के बाद अब ओडिशा सरकार ने पटाखों पर रोक लगा दी है. ओडिशा सरकार ने 10 से 30 नवंबर, 2020 तक पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगा दी है.
पटाखे जलाने से बड़े पैमाने पर नुकसान करने वाले रसायन पर्यावरण में फैलते हैं जिसमें नाइट्रस ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोक्साइड जैसी गैस शामिल हैं. ओडिशा सरकार का कहना है कि किसी को पटाखे बेचते हुए पाए जाने पर दंडित किया जाएगा. सरकार का कहना है कि पटाखे जलाने से धुआं निकलेगा जो कोरोना मरीजों के लिए अधिक नुकसानदायक होगा लिहाजा, लोगों को इससे परहेज करना चाहिए.
राज्य सरकारें इस बार दिवाली पर ग्रीन पटाखे जलाने का अनुरोध कर रही हैं. दिल्ली में सामान्य पटाखों के इस्तेमाल और खरीद बिक्री पर रोक के आदेश हैं. लेकिन दिल्ली में ग्रीन क्रैकर्स यानी हरित पटाखे बेचने की अनुमति दे दी गई है. दिल्ली सरकार ने आदेश दिया है कि बिना ग्रीन क्रैकर्स लोगो के पटाखे बाजार में नहीं बेचे जा सकते.
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ग्रीन पटाखे और उससे जुड़े नियम
दावा किया जा रहा है कि ग्रीन पटाखों में बेरियम नाइट्रेट का प्रयोग नहीं होता है. एल्युमिनियम की मात्रा भी काफी कम होती है. इसकी वजह से इन पटाखों को जलाने पर पीएम 2.5 और पीएम 10 की मात्रा में गिरावट की बात कही जा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में ग्रीन पटाखों को जलाने की हिमायत की थी. इसके बाद केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने पहल की. राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (NEERI) ने ग्रीन पटाखे तैयार किए. यह पारंपरिक पटाखों जैसे ही होते हैं. इनके जलने से कम प्रदूषण होता है.
पटाखों पर लगा हो ग्रीन क्रैकर का लोगो
सुप्रीम कोर्ट की हिदायत है कि कम प्रदूषण फैलाने वाले ग्रीन पटाखे ही लाइसेंस हासिल करने वाले व्यापारियों के माध्यम से बेचे जा सकते हैं. अन्य पटाखों और लड़ियों के उत्पादन, बिक्री और प्रयोग पर रोक रहेगी. ग्रीन पटाखे दिवाली को शाम 8 बजे से रात 10 बजे तक चलाने की अनुमति होगी. जिन पटाखों को बेचा जाए, उनके ऊपर ग्रीन क्रैकर का लोगो होना चाहिए और दुकानों से बेचे जाने वाले पटाखे अधिकृत कंपनियों के होने चाहिए.
(भुवनेश्वर से मोहम्मद सूफ़ियान के इनपुट के साथ)
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