बीते 11 अगस्त को लंबी आपत्तियों के बावजूद असम में केंद्रीय चुनाव आयोग ने नए सीट बंटवारे का फाइनल ऑर्डर जारी किया था. जिसे कल राष्ट्रपति की भी मंजूरी मिल गई. यानी अब असम में चुनाव नए सीट बंटवारे के तहत होंगे. जून में चुनाव आयोग ने इसी रिपोर्ट का ड्राफ्ट पेश करते हुए आपत्तियाँ और सुझाव मांगे थे, अलग अलग संगठनों और लोगों ने कुल 1222 आपत्तियाँ दर्ज कराई थी.अब चुनाव आयोग ने बताया कि नया सीट बंटवारा कैसा हो ये तय करते हुए हम इन आपत्तियों का केवल 45 प्रतिशत ही एड्रेस कर पाए क्योंकि बाकी सब सुझावों पर अमल करना संविधान के अनुसार नहीं था.
नए सीट बंटवारे के फैसले को लेकर चुनाव आयोग पर आरोप लगने भी शुरू हो गए हैं.ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के मुखिया हैं बदरुद्दीन जमाल. उनका कहना है कि नया सीट बंटवारा मुस्लिमों के लिए आरक्षित सीटों में से दस ग्यारह सीट घटा देगा. इसके अलावा आदिवासियों और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के लिए भी ये ग़लत कदम साबित होगा. अब इन आपत्तियों पर बात हो उससे पहले असम में लोकसभा और विधानसभा सीटों की तस्वीर कैसी होने जा रही है और नई तस्वीर एलेक्टोरली क्या बदल सकती है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
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कल दिल्ली में एक बैठक हुई. देश की केंद्रीय सत्ता में काबिज़ पार्टी बीजेपी की. बीजेपी के चुनाव समिति की ये बैठक थी जिसमें 5 राज्यों में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनावों पर चर्चा हुई,रणनीति बनी. बीजेपी की इस बैठक में PM मोदी, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत जो भी सेंट्रल इलेक्शन कमेटी के मेंबर थे सभी 15 मेंबर्स मीटिंग में पहुंचे थे. मुख्य फोकस था मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़.इस बैठक के बाद कहा जा रहा है कि इस बार इन राज्यो में बीजेपी समय से पहले अपने कैंडिडेट्स उतार सकती है. इसके अलावा इस बैठक में MP-छत्तीसगढ़ चुनाव पर जो चर्चा हुई उसमें क्या ठोस तय हुआ और पार्टी क्या किसी चेहरे के साथ चुनाव में जाएगी, प्रधानमंत्री का चेहरा होगा या फिर सामूहिक नेतृत्व पार्टी के एजेंडे पर होगा? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
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नीदरलैंड्स यूरोप का एक छोटा सा देश है. लेकिन यूरोप की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था. आप उसे ऐसे भी जान सकते हैं कि उसके खिलाड़ी ऑरेंज जर्सी पहन कर बहुत बढ़िया हॉकी और फुटबॉल खेलते हैं. नीदरलैंड्स का ये परिचय इसलिए कि उसकी अर्थव्यवस्था से जुड़ी एक बुरी ख़बर आई है. नीदरलैंड्स की अर्थव्यवस्था मंदी की जद में है. नीदरलैंड्स के ही आंकड़ों के अनुसार उसकी अर्थव्यवस्था सेकेंड क्वार्टर में 0.3 परसेंट नीचे खिसक गई है. कोविड के बाद बढ़ती महंगाई से नीदरलैंड्स के लोगों के खर्च में 1.6 परसेंट की गिरावट आई है और इस देश के एक्सपोर्ट्स .7 परसेंट. तकरीबन 1000 बिलियन की इस अर्थव्यवस्था में मंदी की वजह क्या हैं और ये कारण कितने इंटर्नल हैं और कितने ग्लोबल है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
रोहित त्रिपाठी