भारत और चीन के बीच लद्दाख बॉर्डर पर स्थिति गंभीर बनी हुई है. दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं, इस बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रूस के मॉस्को में अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की. साझा बयान में भारत-चीन ने जल्द ही बॉर्डर विवाद को बातचीत से सुलझाने की बात कही है. लेकिन विपक्ष की ओर से अब भी मोदी सरकार पर निशाना साधा जा रहा है. AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को ट्वीट करते हुए सरकार पर निशाना साधा.
हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने लिखा, ‘हमने दोनों विदेश मंत्रियों के बयान देखे. एस. जयशंकर ने अप्रैल से पहले की स्थिति की मांग क्यों नहीं की, या वो भी अपने बॉस यानी प्रधानमंत्री से सहमत हैं कि चीनी LAC के पार आए ही नहीं. ओवैसी ने सवाल पूछा कि इस बैठक में ऐसा क्या नया तय हुआ है कि दोनों देशों के बीच होने वाली कमांडर लेवल की बात सफल होगी.
असदुद्दीन ओवैसी ने निशाना साधते हुए कहा कि सरकार को जवाब देना चाहिए. अबतक की मिलिट्री बातचीत सफल नहीं हो पाई हैं, ऐसे में उनपर अब राजनीतिक फेलियर का बोझ नहीं डाला जाना चाहिए. उन्होंने पूछा कि क्या सरकार ने भारत की जमीन को चीन के सामने सरेंडर कर दिया है?
ओवैसी से अलग कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी इस बैठक को लेकर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि एक तरफ दोनों देश के विदेश मंत्री बातचीत की बात कर रहे हैं, तो दूसरी ओर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का अंग्रेजी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स आक्रामक शैली में हमला बोल रहा है. शशि थरूर ने कहा कि चीन एक बार फिर भारत को 1962 जैसा सबक सिखाने को कह रहा है, क्या सरकार तैयार है.
आपको बता दें कि इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी अपने ट्वीट में सरकार से पूछा था कि चीन से हमारी जमीन कब वापस लेंगे या एक्ट ऑफ गॉड कहकर छोड़ देंगे.
गौरतलब है कि एक तरफ दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने रूस में बात की है तो दूसरी ओर अभी भी बॉर्डर पर हालात तनावपूर्ण हैं और स्थिति सुधरती नहीं दिख रही है.
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