किसान आंदोलन के 8 महीने पूरे, आज महिलाएं संभालेंगी जंतर-मंतर पर 'किसान संसद' का मोर्चा

40 किसान संगठनों के संयुक्त मोर्चे ने रविवार को बयान जारी कर कहा कि महिला किसानों के कई गुट 'महिला किसान संसद' में शामिल होने के लिए दिल्ली की सीमा पर पहुंच रहे हैं. सोमवार को जंतर मंतर पर किसान संसद को सिर्फ महिलाएं चलाएंगी. महिला किसान संसद भारतीय कृषि और इस आंदोलन में महिलाओं द्वारा निभाई जाने वाली अहम भूमिका को भी दर्शाएंगी.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 11:14 AM IST
  • कृषि कानूनों के खिलाफ 8 महीने से जारी है किसान आंदोलन
  • 22 जुलाई से जंतर मंतर पर किसान संसद का हो रहा आयोजन

कृषि कानूनों (farms law) के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन (farmers protest) को 8 महीने पूरे हो गए हैं. इस मौके पर संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) ने ऐलान किया है कि जंतर मंतर ( Jantar Mantar) पर चल रहे किसान संसद ( Kisan Sansad) का मोर्चा सोमवार को महिला किसान संभालेंगी. पिछले साल केंद्र सरकार कृषि क्षेत्रों में सुधार के लिए नए कानून लाई थी. तभी से इन कानूनों के विरोध में हजारों किसान दिल्ली (Delhi) की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. 

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एजेंसी के मुताबिक, 40 किसान संगठनों के संयुक्त मोर्चे ने रविवार को बयान जारी कर कहा कि महिला किसानों के कई गुट 'महिला किसान संसद' में शामिल होने के लिए दिल्ली की सीमा पर पहुंच रहे हैं. सोमवार को जंतर मंतर पर किसान संसद को सिर्फ महिलाएं चलाएंगी. महिला किसान संसद भारतीय कृषि और इस आंदोलन में महिलाओं द्वारा निभाई जाने वाली अहम भूमिका को भी दर्शाएंगी. 

महिलाओं के काफिले पहुंच रहे 
बयान में कहा गया है कि कई जिलों से महिलाएं महिला संसद में पहुंच रही हैं. किसान संगठन 22 जुलाई से मॉनसून सत्र के दौरान जंतर मंतर पर किसान आंदोलन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. किसान मोर्चा ने दावा किया कि पिछले 8 महीने से जारी इस आंदोलन में लगभग सभी राज्यों से कई लाख किसान विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए. विरोध शांतिपूर्ण रहा है और हमारे अन्ना दाताओं के सदियों पुराने आचार को दिखाता है.

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मिशन उत्तर प्रदेश लॉन्च करेंगे किसान
वहीं, किसान नेता सोमवार को लखनऊ जाएंगे. यहां वे मिशन उत्तर प्रदेश शुरू करेंगे. उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं. बयान में कहा गया है कि इस साल की शुरुआत में हुए पंचायत चुनावों में किसानों के आंदोलन का असर दिखा है, कई जगहों पर भाजपा उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा और निर्दलीय उम्मीदवारों को सबसे अधिक सीटें मिलीं. 

साथ ही किसान मोर्चा ने कहा, विभिन्न जगहों से नए किसान मोर्चे भी आंदोलन में शामिल हो रहे हैं. इनमें रविवार को उत्तर प्रदेश के बिजनौर से गाजीपुर बॉर्डर पर एक ट्रैक्टर रैली भी पहुंची.

 

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