दिल्ली हाईकोर्ट ने ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट में पॉज़िटिव पाए गए एक पायलट को राहत देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने पायलट के लाइसेंस को सस्पेंड रखने का फैसला बरकरार रखा. हाई कोर्ट ने कहा कि यात्रियों की सुरक्षा से कभी समझौता नहीं किया जा सकता और गलती करने वाले पायलट के प्रति अनावश्यक नरमी यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरनाक होगी. हाईकोर्ट ने ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट में पॉज़िटिव पाए जाने पर पायलट का लाइसेंस सस्पेंड कर दिया था.
ब्लड में अल्कोहल मिलने पर जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी
हाईकोर्ट ने कहा कि नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने ब्लड में अल्कोहल की मात्रा मिलने पर जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी को अनिवार्य किया है. क्रू मेंबर के सांस, यूरिन या ब्लड अल्कोहल एनालिसिस में अल्कोहल का पता नहीं लगना चाहिए. सिविल एविएशन रूल (CAR) में ब्लड अल्कोहल की पर्मिसबल लिमिट 0.000 निर्धारित की गई है.
कोर्ट ने कहा कि पायलट को फ्लाइट टेक ऑफ के समय शराब, ड्रग के नशे में नहीं होना चाहिए. पायलट अगर इनका सेवन करते हैं तो यह विमान में यात्रा करने वाले यात्रियों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है.
प्री-फ्लाइट ब्रीथ एनालाइजर टेस्ट होता है
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा, टेक ऑफ से पहले CAR के अनुसार प्री-फ्लाइट ब्रीथ एनालाइजर टेस्ट किया जाता है और जब याचिकाकर्ता ने भी यह टेस्ट करवाया, तो उसका टेस्ट पॉजिटिव आया. यह कोई पहली बार नहीं था, बल्कि पायलट दूसरी बार पॉजिटिव पाया गया.
न्यायमूर्ति सुधीर कुमार जैन ने कहा, 'यात्रियों की सुरक्षा से कभी समझौता नहीं किया जा सकता है और गलती करने वाले पायलट के प्रति बिना वजह नरमी यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरनाक होगी.'
हाई कोर्ट याचिका खारिज की
हाई कोर्ट ने पायलट की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसके लाइसेंस को तीन साल के लिए निलंबित करने के आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी, जिसकी बाद में DGCA ने पुष्टि की थी. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता राहत का हकदार नहीं है और याचिका में कोई दम नहीं है.
जनवरी 2020 की है घटना
2020 में घटना के समय पायलट एयर एशिया (इंडिया) लिमिटेड के साथ कमांड (कैप्टन) के रूप में काम कर रहा था. याचिकाकर्ता के अनुसार, क्रू मेंबर की कमी के कारण उसे 26 जनवरी, 2020 को दिल्ली से कोलकाता के लिए फ्लाइट लेकर जाना था. उड़ान का संचालन करने से पहले, उसने दावा किया कि वह किसी बीमारी से पीड़ित था और कुछ दिन पहले बीमार होने की सूचना दी थी. इसके बाद वह डॉक्टर की बताई दवाई ले रहा था.
याचिकाकर्ता के अनुसार, अचानक उसकी जरूरत पड़ने पर क्रू मेंबर की कमी की वजह से उसे फ्लाइट ले जाने के लिए रिक्वेस्ट किया गया. और बीमार होने के बावजूद उसने एयरलाइंस के रिक्वेस्ट पर अंतिम समय में ड्यूटी के लिए हां कर दिया. पायलट ने दावा किया कि फ्लाइट ले जाने के समय उसने शराब, या किसी तरह का ड्रग्स नहीं लिया था.
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