संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने के आरोपियों को जमानत, करीब डेढ़ साल बाद आएंगे जेल से बाहर

संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने के आरोपी नीलम आजाद और महेश कुमावत को अब जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया गया है. जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथ शंकर की खंडपीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 20 मई को सुनवाई पूरी करते हुए अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था.

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13 दिसंबर 2023 को संसद की विजिटर गैलरी से ये दो आरोपी सदन के चैंबर में कूदे थे (फाइल फोटो) 13 दिसंबर 2023 को संसद की विजिटर गैलरी से ये दो आरोपी सदन के चैंबर में कूदे थे (फाइल फोटो)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 02 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 4:11 PM IST

संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने वाले दो आरोपियों को दिल्ली हाईकोर्ट ने करीब डेढ़ साल बाद जमानत पर रिहा करने का आदेश दे दिया. संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने के आरोपी नीलम आजाद और महेश कुमावत को अब जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया गया है. जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथ शंकर की खंडपीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 20 मई को सुनवाई पूरी करते हुए अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था.

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दरअसल, 13 दिसंबर 2023 को संसद की विजिटर गैलरी से ये दो आरोपी सदन के चैंबर में कूदे थे. कुछ ही देर में आरोपी ने डेस्क के ऊपर चलते हुए अपने जूतों से कुछ निकाला. पलक झपकते ही उनके हाथों में मौजूद केन से पीले रंग का धुआं निकलने लगा. इस घटना के बाद सदन में अफरातफरी मच गई. हंगामे और धुएं के बीच कुछ सांसदों ने इन युवकों को पकड़ लिया और इनकी पिटाई भी की.

आनन फानन में ही संसद के सुरक्षाकर्मियों ने दोनों आरोपियों को को कब्जे में ले लिया. संसद के बाहर भी दो लोग पकड़े गए. वे नारेबाजी करते हुए हाथ में केन लिए थे जिनमें से पीले रंग का धुआं निकल रहा था. पिछले करीब डेढ़ साल से ये लोग न्यायिक हिरासत में हैं. अब उनकी जमानतंपर रिहाई का आदेश हाईकोर्ट से आया है. जस्टिस सुब्रमण्यन प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने सुनवाई पूरी करने के 41 दिन बाद निर्णय सुना दिया.

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2001 संसद की पुरानी इमारत पर साल 2001 में 13 दिसंबर को आतंकवादी हमला हुआ था. उसकी ही 12 वीं बरसी पर संसद की सुरक्षा में सेंध की एक बड़ी घटना हुई. इसमें आरोपी सागर शर्मा और मनोरंजन डी शून्यकाल के दौरान दर्शक दीर्घा से लोकसभा कक्ष में कूद गए थे. उन्होंने कैनिस्टर से पीली गैस छोड़ने के साथ ही नारेबाजी की थी. बाद में कुछ सांसदों ने उन्हें काबू कर लिया था.

लगभग उसी समय, दो अन्य आरोपियों अमोल शिंदे और नीलम आजाद ने संसद परिसर के बाहर 'तानाशाही नहीं चलेगी' के नारे लगाते हुए कैनिस्टर से रंगीन धुआं वाली गैस छोड़ी थी. सुनवाई के दौरान आजाद के वकील ने कहा कि उसे जमानत दी जानी चाहिए क्योंकि इस मामले में यूएपीए के प्रावधान लागू नहीं होते. उसके वकील ने दावा किया कि वह संसद में कोई विस्फोटक लेकर नहीं आई थी. वो तो केवल बाहर खड़ी थी.

जमानत याचिका के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने दलील दी कि आरोपी की मंशा 2001 के संसद हमले की दुःखद यादें ताजा करना था. अभियोजन पक्ष ने कहा कि प्रारंभिक जांच से खुलासा हुआ कि आरोपी आजाद और शिंदे के हर कदम पर साथी सहयोगी रहे हैं दूसरे आरोपी सागर शर्मा और मनोरंजन डी. उन्होंने मिलकर ही इस घटना को अंजाम दिया था.

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अभियोजन पक्ष ने हाईकोर्ट को बताया कि इस मामले में आरोपियों को गिरफ्तारी के आधार 'विधिवत' बताए गए हैं. निचली अदालत ने सुनवाई के दौरान आरोपियों से 13 दिसंबर की विशिष्ट तिथि चुनने का कारण पूछा था. उन्होंने कहा कि उसी दिन 2001 में संसद भवन पर आतंकी हमला हुआ था. इसलिए उन्होंने वही दिन चुना.

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