लखीमपुर हिंसा की घटना को हुए 15 दिन बीत चुके हैं, पर इस मामले को लेकर आंदोलनों और अभियानों का सिलसिला मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा के गिरफ्तारी के बाद भी थमा नहीं है.
दूसरी तरफ लखीमपुर खीरी में किसानों को कुचलने के मामले में फरार चल रहे बाकी चार आरोपियों को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. इसमें जीप चलाने वाला सुमित जायसवाल, उसके साथ सत्य प्रकाश उर्फ सत्यम त्रिपाठी, शिशुपाल और नंदन सिंह शामिल है.
आरोपी सत्यप्रकाश उर्फ सत्यम के पास से 32 बोर की रिवाल्वर भी बरामद हुई है. उधर कल किसानों ने गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के इस्तीफे और गिरफ्तारी की मांग को ले कर देश भर में रेल रोको आंदोलन भी चलाया. अभियान का कितना असर रहा इस पर हमने कल बात की थी, लेकिन अब सवाल ये है कि दिन भर किसान का रेल रोको आन्दोलन का सरकारी लिहाज़ से क्या असर दिखा? क्या सरकार इससे कुछ हलकान दिख रही है? क्या ये मसला अभी कुछ दिन सरकार के लिए मुश्किलें बनाए रखेगा?
बाइडेन की अप्रूवल रेटिंग में आई गिरावट
डोनाल्ड ट्रंप को मात देकर जो बाइडेन व्हाइट हाउस में आए थे तो अमेरिकी लोगों को उनसे बहुत उम्मीदें थीं. अब नौ महीने गुज़र चुके हैं. उन्होंने कई अहम फैसले ले भी लिए हैं. उनमें से अधिकतर विवादित रहे और बाइडेन की इमेज पर डेंट करनेवाले भी. वहीं 6 अक्टूबर को क्यूनिपिएक यूनिवर्सिटी के सर्वे में ये बात निकलकर आई है कि बाइडेन की अप्रूवल रेटिंग 38 फ़ीसदी रह गई है जबकि डिस-अप्रूवल रेटिंग 53% है. इसका मतलब है कि उनकी लोकप्रियता गिर रही है. कहा ये भी जा रहा है कि अपने फैसलों से अमेरिकियों को असंतुष्ट पाकर अब बाइडेन अपने पूर्व बॉस बराक ओबामा की शरण में हैं. उनके करीब करीब हर फैसले के पीछे ओबामा की सलाह है. तो इस अप्रूवल रेटिंग्स को कितना सीरियसली लेने की ज़रूरत है. क्या रेटिंग्स के हिसाब से ऐसा दिख रहा है कि बाइडेन अब उतने पॉपुलर नहीं रहे जितने अपने चुनाव जीतने के समय थे और क्या बाइडन बराक ओबामा के हिसाब से चलने लगे हैं?
यूपी के क्रय केंद्रों पर क्या है हाल
यूपी में विधानसभा चुनाव बीतते दिनों के साथ और क़रीब आता जा रहा है. सरकारी दावे और विपक्ष के आरोपों का सिलसिला तेज़ भी हो चला है. किसान आंदोलन तो पहले ही सरकार के लिए टेंशन बना था, उस पर लखीमपुर खीरी की घटना ने इस और बढ़ाने का काम किया. लेकिन चूंकि चुनाव हैं तो किसानों के हितैषी बनने का कॉन्सेप्ट सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने अपना लिया है. पिछले दिनों यूपी सरकार के तरफ से बड़े दावे किए गए थे कि क्रय केंद्रों पर फसलें खरीदने के माकूल इंतेजाम किये गए हैं, किसानों को कोई तकलीफ नहीं होगी. दूसरी तरफ विपक्ष इसे नकारता रहा. इस स्थिति में वाकई में क्रय केंद्रों की स्थिति क्या है, धान कटने का सिलसिला शुरू हो ही गया है तो किसानों को धान की ये फसल बेचने में क्या कठिनाई आ रही है जानेंगे किसानों से ही.
पाकिस्तान से मैच के पहले भारतीय खेमे में मंथन
और टी20 विश्वकप का आगाज़ स्कॉटलैंड और बंग्लादेश के मुकाबले से हो ही गया है. भारत का पहला मुकाबला 24 तारीख को पाकिस्तान से है, और पाकिस्तान के साथ मैच कितना हाई वोल्टेज भरा रहता है ये बताने की ज़रूरत नहीं है लेकिन इससे पहले कई बातों पर मंथन चल रहा है और कुछ चिंताएं भी हैं. भारत के लिए हार्दिक पंड्या की चोट और कई खिलाड़ियों का फॉर्म में न होना थोड़ी मुश्किल का सबब है. ख़ैर, कहते हैं न कि मैदान-ए-जंग में ही उतरने पर और कमियाँ पता लगती हैं तो इन्हीं कमियों का पता लगाने के लिए भारत ने कल इंग्लैंड के साथ अभ्यास मैच खेला. मैच तो भारत बहुत आसानी से जीत गया पर इससे कई कमियाँ और टीम की मज़बूती भी सामने आई हैं. तो क्या समझ में आया और इस अभ्यास मैच के बाद भारत की क्या चिंताएं निकल कर आई हैं, कौन सी चिंताएं दूर हुई हैं और आगे क्या बदलाव होंगे इस आधार पर?
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