'झूठे आरोप लगा रहे हैं परमबीर, क्यों नहीं की कानूनी कार्रवाई,' अनिल देशमुख की सफाई

परमबीर सिंह ने इंडिया टुडे से हुई बातचीत में कहा है कि सीएम उद्धव ठाकरे को लिखी गयी चिट्ठी सही है और वो खुद उन्होंने ही भेजी है. उन्होंने बताया कि जिस मेल के जरिए उन्होंने यह चिट्ठी भेजी वो मेल आईडी भी उन्हीं की है.

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अनिल देशमुख ने परमबीर सिंह के आरोपों को झूठा करार दिया है. अनिल देशमुख ने परमबीर सिंह के आरोपों को झूठा करार दिया है.

मुस्तफा शेख

  • मुंबई,
  • 21 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 4:06 PM IST
  • अनिल देशमुख ने उठाए परमबीर सिंह की चिट्ठी पर सवाल
  • जानकारी होते हुए भी परमबीर ने कोई कानूनी कदम क्यों नहीं उठाया: देशमुख

एंटीलिया केस की जांच जैसे जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे वैसे नए खुलासे हो रहे हैं. ऐसे में अब एक ऐसा खुलासा हुआ है जिससे महाराष्ट्र की राजनीति में हड़कंप मच गया है. पुलिस कमिश्नर पद से हटाए गए परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री को एक चिट्ठी भेजकर गृहमंत्री अनिल देशमुख पर सनसनीखेज आरोप लगाए हैं. जिसके बाद ना सिर्फ सियासत तेज हो गई है. बल्कि गृहमंत्री अनिल देशमुख की कुर्सी पर भी बन आई है. 

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वहीं परमबीर सिंह ने इंडिया टुडे से हुई बातचीत में कहा है कि सीएम उद्धव ठाकरे को लिखी गयी चिट्ठी सही है और वो खुद उन्होंने ही भेजी है. उन्होंने बताया कि जिस मेल के जरिए उन्होंने यह चिट्ठी भेजी वो मेल आईडी भी उन्हीं की है. बता दें कि एंटीलिया केस की जांच के दौरान ही परमबीर सिंह को मुंबई पुलिस कमिश्नर के पद से हटाकर होमगार्ड विभाग में तबादला कर दिया गया था. जिसके बाद अब गृहमंत्री अनिल देशमुख ने मामले पर बिन्दुवार चर्चा की है.

उन्होंने कहा कि ट्रांसफर के बारे में उनका तर्क यह है कि यह एक रूटीन ट्रांसफर था ना कि उनके किसी संदिग्ध आचरण के लिए. धारा 22 एन (2) विशेष रूप से असाधारण मामलों की बात करती है और वर्तमान मामले में परमबीर के अनुसार एंटीलिया केस का स्वतंत्र और निष्पक्ष परीक्षण करना था. परमबीर सिंह के अनुसार फाइल पर अधिसूचनाएं स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के असाधारण मामले का संकेत देती हैं. ऐसे में यह स्पष्ट है कि सीपी के रूप में परमबीर की उपस्थिति ने जांच को नुकसान पहुंचाया होगा और इसलिए संदिग्ध आचरण की परिभाषा के तहत कवर किया गया है.

उन्होंने कहा कि जैसा कि परमबीर ने कथित रूप से दावा किया है, कि उन्होंने सीएम को सूचित किया था और एनसीपी नेतृत्व को भी, यह आश्चर्य की बात है कि उन्होंने इसे लिखित रूप में क्यों नहीं बताया और कमिश्नर पूरी तरह से सशक्त होने के बावजूद उन्होंने कोई कार्रवाई शुरू नहीं की. एफआईआर करवाने के लिए किसी मंजूरी की जरूरत नहीं होती. इससे पता चलता है कि अब जो आरोप लगाए जा रहे हैं, वे सिर्फ आरोप हैं, इनमें कहीं भी कोई वास्तविकता नहीं है. 

उन्होंने कहा कि यदि 4 मार्च को उनके द्वारा कथित तौर पर ऐसा हुआ है, तो उन्हें उसी वक़्त सीएम के संज्ञान में लाना चाहिए या कार्रवाई शुरू करनी चाहिए थी. नहीं तो कम से कम एंटी करप्शन को सूचित करना चाहिए. वह पूरी तरह से इस प्रक्रिया से वाकिफ हैं क्योंकि वह खुद एंटी करप्शन डिपार्टमेंट के महानिदेशक थे.

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देशमुख ने कहा कि चर्चा और बैठकों के लिए किसी भी अधिकारी को कॉल करने के लिए होम मिनिस्टर को विभाग के प्रमुख के रूप में पूरी तरह से सशक्त बनाया जाता है. वास्तव में परमबीर ने इन मुद्दों को उठाकर साफतौर पर अपमान करना चाहा है. उन्होंने कहा कि परमबीर बिना तथ्यों पर बात किये आरोप पर आरोप लगा रहे हैं. 

बता दें कि देशमुख ने परमबीर के खिलाफ मानहानि का केस करने की भी बात कही है. उन्होंने कहा कि परमबीर ने खुद को बचाने और कानूनों कार्रवाई से बचने के लिए यह झूठा आरोप लगाया है. जबकि एंटीलिया मामले के साथ साथ मनसुख हिरेन हत्याकांड में भी सचिन वाजे की संलिप्तता साफ हो रही है और जांच तत्कालीन कमिश्नर परमबीर सिंह तक पहुंचने की संभावना है. 

 

 

 

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